Office Toxic workplace: रेडिट पर एक यूजर ने हाल ही में एक ऐसा स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसने वर्कप्लेस कल्चर को लेकर फिर से बहस छेड़ दी है. पोस्ट में दावा किया गया कि एक भारतीय मैनेजर ने अपने कर्मचारी से वीकेंड में 8 घंटे काम करने या अगले हफ्ते रोज 2 घंटे एक्स्ट्रा काम करने को कहा. यह स्क्रीनशॉट व्हाट्सएप ग्रुप चैट का है, जिसमें कई कर्मचारी अपनी वीकेंड प्लान्स के चलते काम करने से मना कर रहे हैं.
मैनेजर का रुख कैसा था?
एक कर्मचारी ने लिखा, "मेरी कुछ पर्सनल कमिटमेंट्स हैं, इसलिए शनिवार-रविवार काम करना मुश्किल है. कोशिश करूंगा पूरा करने की.” इसके बाद अन्य कर्मचारियों ने भी वीकेंड में काम करने से इंकार किया. जवाब में मैनेजर ने सभी को डांटते हुए लिखा, "यह ऐसे नहीं चलेगा. सोमवार को ऑफिस में सबको बुलाकर बात करूंगा. या तो शनिवार-रविवार ऑफिस आओ 8 घंटे के लिए या फिर अगले 3 हफ्तों तक हर दिन 2 घंटे एक्स्ट्रा काम करो. माइंडसेट तैयार कर लो.”
सोशल मीडिया पर कैसी प्रतिक्रिया आई?
रेडिट पर पोस्ट होते ही यह मामला वायरल हो गया और लोगों ने इसे टॉक्सिक वर्क कल्चर करार दिया. एक यूजर ने कहा, “यह सीधे-सीधे उसकी मेहनत की चोरी है. पहले विनम्रता से मना करो, नहीं माने तो सीधा इंकार करो.” दूसरे ने लिखा, “जब तक इमरजेंसी न हो, मैं ऑफिस से बाहर का कोई कॉल या मैसेज रिस्पॉन्ड नहीं करता. एक बार तो मुझे अपने कलीग को ब्लॉक करना पड़ा.”
एक तीसरे यूजर ने लिखा, “टीम्स पर सब रिकॉर्ड होता है, इसलिए ऐसे मैसेज वहां नहीं करते. कोर्ट में जाने पर यही कहते हैं कि ये रॉग मैनेजर था.” चौथे ने सुझाव दिया, “अगर आपकी गलती नहीं है तो वीकेंड में एक मिनट भी काम मत करो. हममें से किसी को ओवरटाइम का पैसा नहीं मिलता.” एक और रेडिट पोस्ट में एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने दावा किया कि उससे हर हफ्ते 20 घंटे बिना सैलरी के ओवरटाइम करवाया जा रहा है. उन्होंने लिखा, “हर दिन ऑफिस के बाद 3 घंटे और वीकेंड पूरा चला जाता है. ये अनपेड है, कोई बहस की गुंजाइश नहीं है, और साफ कह दिया गया है कि अगर यहां ग्रो करना है तो ये करना ही होगा.”
क्या अब समय है ऑफिस कल्चर को दोबारा सोचने का?
इन घटनाओं ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या काम की डिमांड अब लोगों की पर्सनल लाइफ और मेंटल हेल्थ पर हावी हो रही है? क्या कर्मचारी अब सिर्फ रिसोर्स बनकर रह गए हैं, जिनकी कोई सीमा नहीं? साफ है कि वर्कप्लेस पर संतुलन बनाना अब सिर्फ़ जरूरत नहीं, बल्कि एक जरूरी बदलाव है.