Anil Ambani company: कभी दुनिया के छठे सबसे अमीर उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनियां एक एक कर बर्बाद होने लगी. उनकी टेलीकॉम कंपनी की बर्बादी के पीछे बड़े भाई मुकेश अंबानी की जियो का भी बड़ा हाथ है. जानते है कैसे बर्बाद हुई रिलायंस कम्यूनिकेशन...
Anil Ambani Case Study: 36,83,52,22,87,200 रुपये की दौलत के साथ कभी दुनिया के छठे सबसे अमीर उद्योगपति अनिल अंबानी मुश्किल में घिर है. प्रवर्तन निदेशालय उनसे लोन फ्रॉड मामले में पूछताछ कर रहा है. फिलहाल विवादों में उलझे अनिल अंबानी के दिन फिरने लगे हैं. उनकी कंपनियों ने कर्ज का बोझ कम निवेशकों को भरोसा जीता, मुनाफा कमाया और देश-विदेश से नए आर्डर हासिल किए. रिलायंस पावर, रिलायंस इंफ्रा तेजी से बढ़ने लगे हैं, कंपनियों का प्रॉफिट और अनिल अंबानी का मुनाफा भी बढ़ने लगा, लेकिन अचानक से नई मुश्किल ने उन्हें घेर लिया. हालांकि पहली बार नहीं है, जब अनिल अंबानी परेशानियों में घिरे हो. बैंकों के कर्ज के बोझ से दबे अनिल अंबानी ने मुश्किल दौर से निकलना सीखा है. वो दौर मुश्किलों से भरा था जब अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी उनके हाथों से निकल रही थी.
कभी छठे सबसे अमीर अनिल अंबानी का साम्राज्य ताश के पत्ते की तरह ढह गया.उन पर धोखाधड़ी के केस, कथित फंड डायवर्जन, फर्जी गारंटियों और बड़े पैमाने पर डिफॉल्ट के कई आरोप लगे. प्रतिबंधों का दौर चला, कंपनियां दिवालिया हो गई, अदालतों में मुकदमों और जांच एजेंसियों में पूछताछ का लंबा सिलसिला चलता रहा. हालात ऐसे बिगड़े कि फरवरी 2020 में, उन्होंने ब्रिटेन की एक अदालत में खुद को दिवालिया घोषित कर दिया.
पिता धीरुभाई अंबानी संपत्ति के बंटवारे के बाद टेलीकॉम कंपनी रिलायंस इंफोकॉम (Reliance Infocomm) अनिल अंबानी के हिस्से में आई थी. रिलायंस की इस टेलीकॉम कंपनी का सिक्का चलता था. साल 2003 में अपने रिलायंस इंर्फोकॉम के CDMA मोबाइल फोन सेट ने बाजार में धूम मचा दी थी. 500 रुपये वाले हैंडसेट और रिचार्ज प्लान ने बड़ी-बड़ी टेलीकॉम कंपनियों को हिला दिया था.
रिलायंस इंर्फोकॉम के 500 रुपये वाले फोन और महज 15 पैसे प्रति मिनट कॉलिंग फीचर्स ने उस दौर की टेलीकॉम कंपनियां बीएसएनएल, एयरटेल, वोडाफोन (हच), आइडिया, टाटा, एयरसेल, स्पाइस, और वर्जिन मोबाइलको हिलाकर रख दिया था. कंपनियों के मुनाफे घटने लगे थे. लोगों के हाथों में रिलायंस इंर्फो के CDMA हैंडसेट पहुंचने लगे. शहर के साथ-साथ गांवों तक उनके यूजर्स की पैठ बढ़ गई . कंपनी ने 20 साल पहले सेल्युलर सर्विस सेक्टर पर राज किया . क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग इस फोन का एड करते थे. लोगों की जुंबा पर फोन के जिंगल चढ़ गया था.
जिस कंपनी ने टेलीकॉम सेक्टर में भूचाल ला लिया, 6 साल में वो दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई. कर्ज और गलत फैसलों ने कंपनी को बर्बाद कर दिया. भारी कर्ज़ और खुद अपने बड़े भाई की कंपनी रिलायंस जियो से मिली चुनौती ने आरकॉम को तोड़ दिया. साल 2016 में मुकेश अंबानी ने टेलीकॉम सेक्टर में प्रवेश किया. रिलायंस जियो के फ्री कॉलिंग, अनलिमिडेट डेटा प्लान, सस्ते हैंडसेट के साथ सालभर के रिसार्च जैसे कई ऑफर के साथ जियो ने बाजार में एंट्री की और आते ही भूचाल ला दिया.
आरकॉम डूबने के पीछे कई नाकाम डील भी बड़ी वजह रहीं. साल 2010 में जीटीएल इन्फ्रा के साथ 50,000 रुपये की डील अटक गई, साल 2017 में कंपनी का एयरसेल के साथ विलय भी नाकाम रहा. कनाडा की इन्फ्रा कंपनी ब्रुकफील्ड के साथ टावर सेल डील भी फेल रहा. इन फेल डीलों के बाद कंपनी ने 2जी और 3जी से नेटवर्क से बाहर निकलने का फैसला किया, जिससे उसके करीब 8 करोड़ से अधिक ग्राहकों बाहर निकल गए.
जियो के लॉन्च होने के बाद टेलीकॉम सेक्टर में हड़कंप मच गया. एयरटेल, वोडाफोन, आईडिया जैसी कंपनियां भी उस सूनामी को नहीं झेल पा रही थी. उस तूफान में पहले से कर्ज में डूबा आरकॉम पूरी तरह से उजड़ गया. ये वहीं दौड़ था, जब अस्तित्व बचाने के लिए वोडाफोन और आइडिया ने मर्जर किया था. Rcom ने भी खुद को बचाने की काफी कोशिशें की, लेकिन सभी नाकाम साबित हुए और धीरूभाई अंबानी की शुरू की हुई टेलिकॉम कंपनी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई. 2009 में आरकॉम का कर्ज 25,000 करोड़ से बढ़कर अगले दस साल में 45,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस इंफोकॉम की बर्बादी की सबसे बड़ी वजह भारी कर्ज और लगत प्लानिंग थी. विस्तार की गलत नीतियों और स्पेक्ट्रम अधिग्रहण के लिए भारी पैसा उधार लेने की वजह से कंपनी दिवालिया हो गई. कंपनी पर घाटा इतना बढ़ता चला गया कि वो उससे उबर ही नहीं पाए. कंपनी के कर्ज उस्पर ताला जड़ दिया. अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस के लोन डिफॉल्ट होते चले गए. कंपनी पर फंड डायवर्जन, बही-खातों में हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोप भी लगे. साल 2019 में कंपनी ने खुद दिवालिया फाइल किया.
आरकॉम कर्ज का मामला इतना बढ़ा की जेल जाने की नौबत आ गई. साल 2019 में मुकेश अंबानी ने 450 करोड़ का कर्ज अदाकर अनिल अंबानी को जेल जाने से बचाया था. बाद में उन्होंने ही आरकॉम को खरीदकर जियो में मर्ज किया था.