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ये गांव है इंसानों से खाली लेकिन हर घर में हैं सैकड़ों गुड़िया, रोंगटे खड़े कर देगी हैरतअंगेज कहानी!

दुनिया में आपने कई अजीबो-गरीब गांवों के बारे में सुना होगा, लेकिन जापान के नागोरो गांव की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यहां आपको इंसानों की भीड़ नहीं, बल्कि सैकड़ों गुड़िया-गुड्डे दिखेंगे, जो इंसानों की जगह इस गांव में रहते हैं.  
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दुनिया में आपने कई अजीबो-गरीब गांवों के बारे में सुना होगा, लेकिन जापान के नागोरो गांव की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यहां आपको इंसानों की भीड़ नहीं, बल्कि सैकड़ों गुड़िया-गुड्डे दिखेंगे, जो इंसानों की जगह इस गांव में रहते हैं.

 

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कैसे बना ये ‘गुड़ियों का गांव’?
कैसे बना ये ‘गुड़ियों का गांव’?

नागोरो कभी एक खुशहाल गांव था, जहां सैकड़ों लोग रहते थे लेकिन समय के साथ रोजगार की कमी, बेहतर अवसरों के लिए पलायन और बुजुर्गों के निधन के कारण गांव खाली होता गया. अब यहां मुश्किल से कुछ गिने-चुने लोग रहते हैं. बाकी जगह? वहां इंसानों की जगह ले ली है – इंसानी आकार की गुड़ियों ने.

 

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एक महिला की पहल से बदल गई तस्वीर
एक महिला की पहल से बदल गई तस्वीर

गांव की एक महिला, अयानो त्सुकिमी, ने अपने खोए हुए पड़ोसियों और परिवार की याद में उनकी हूबहू शक्ल की गुड़िया बनाई. धीरे-धीरे उन्होंने गांव के स्कूल, बस स्टॉप, खेत और गलियों में इन गुड़ियों को बैठाना शुरू किया. आज गांव में 350 से ज्यादा गुड़िया हैं — और असली इंसानों की संख्या 30 से भी कम!

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डर और हैरत का अनोखा मिश्रण
डर और हैरत का अनोखा मिश्रण

पहली नजर में दूर से ये गुड़िया असली इंसानों जैसी लगती हैं — कोई खेत में काम कर रहा है, कोई बस का इंतजार कर रहा है, तो कोई स्कूल की क्लास में बैठा है. लेकिन पास जाकर देखने पर उनका स्थिर चेहरा और खाली आंखें एक अजीब-सी सिहरन पैदा कर देती हैं.

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पर्यटकों के लिए अनोखा अनुभव
पर्यटकों के लिए अनोखा अनुभव

अब नागोरो ‘गुड़ियों का गांव’ के नाम से मशहूर हो चुका है. यहां आने वाले लोग इसे एक ओपन-एयर म्यूजियम की तरह देखते हैं. कोई इसे कला मानता है, तो कोई इसे बेहद डरावना. कैमरे में कैद इन गुड़ियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल होती हैं.

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छिपा है एक संदेश
छिपा है एक संदेश

गांव की इन गुड़ियों में सिर्फ अजीबपन नहीं, बल्कि एक गहरा संदेश भी है — जनसंख्या घटने और पलायन की समस्या. नागोरो की खामोश गलियां और गुड़ियों की स्थिर मुस्कान हमें याद दिलाती है कि अगर गांव खाली होते गए, तो शायद कई और जगहें ऐसी ही ‘जिंदा यादगाह’ बन जाएंगी.





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