पित्त की थैली में पथरी की समस्या बहुत ही कॉमन है. इसका साइज सेब के बीज के लेकर क्रिकेट की गेंद जितना बड़ा हो सकता है. छोटे आकार वाले स्टोन्स को निकालने के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं होती है. इसे आप खानपान में बदलाव से शरीर से बाहर निकाल सकते हैं. ऐसे में गालस्टोन होने पर क्या खाना चाहिए? 5 फूड्स के बारे में यहां आप जान सकते हैं.
ऊपरी दाएं पेट में लिवर के नीचे पित्ताशय की थैली होती है, जिसमें बाइल एक पीला तरल होता है जो वसा को पचाने में मदद करता है. यही पित्त कुछ कंडीशन में ठोस बनकर पथरी में बदलने लगता है. ऐसा होने पर डाइजेशन प्रभावित होता है साथ ही कई गंभीर लक्षण नजर आने लगते हैं.
पित्ताशय में पथरी का दर्द आमतौर पर पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में पसलियों के नीचे होता है. क्योंकि पित्ताशय इसी हिस्से में मौजूद होता है. इसके अलावा गाल स्टोन का दर्द पीठ तक भी फैल सकता है, खासकर दाहिने कंधे या कंधे के ब्लेड के बीच. कुछ मामलों में यह पेट के बीच में, छाती के ठीक नीचे या छाती में भी होता है.
पित्त की थैली में पथरी के 80 प्रतिशत मामलों तक तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, जब तक थैली पथरी से भर नहीं जाती या इसका बढ़ा नहीं हो जाता है. ऐसे में जो लक्षण नजर आते हैं, उसमें- पेट में तेज दर्द, मतली या उल्टी, गाढ़ा यूरिन, ग्रे स्टूल, अपच, दस्त, पीलिया और बुखार शामिल है.
पित्त की थैली में पथरी की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है. लेकिन हाई फैट-कोलेस्ट्रॉल फूड, लो फाइबर डाइट लेने वाले लोग में इसका खतरा ज्यादा होता है. इसके अलावा यदि आप महिला हैं या 60 साल से ऊपर हैं, या गाल स्टोन की फैमिली हिस्ट्री है तो आपको इसका हाई रिस्क है. प्रेग्नेंसी, मोटापा, डायबिटीज दवा, कोलेस्ट्रॉल की दवा से भी पित्त की थैली में पथरी हो सकती है.
विटामिन सी, बी और कैल्शियम से भरपूर फल और सब्जियों पित्त की थैली के लिए सेहतमंद होती है. ऐसे में पथरी होने पर खट्टे फल, शिमला मिर्च, पत्तेदार सब्जियां, टमाटर का सेवन करना चाहिए.
फाइबर पित्त के उत्पादन को कम कर सकता है, जो पित्ताशय की थैली की बीमारी के विकास के जोखिम को कम कर सकता है. जिन खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, उनमें फल, सब्जियां, फलियां, मेवे, बीज और साबुत अनाज शामिल हैं.
वसा को कम करने से पित्त पथरी को रोकने में भी मदद मिल सकती है. ऐसे में कम वसा वाला डेयरी, जैसे दूध या पनीर, आहार में वसा की मात्रा को कम करने से पथरी का आकार नहीं बढ़ता है.
लीन प्रोटीन के सेवन से पित्त की थैली में पथरी नहीं बनती है. ऐसे में मुर्गी, मछली, मेवे, बीज, सेम, टोफू और सोया उत्पाद, अतिरिक्त वसा के बिना दुबला प्रोटीन प्रदान करते हैं. पथरी होने के स्थिति में इसका सेवन ग्रोथ को रोकता है. Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.