Bhagwan Jagannath Falls Sick: जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं और उससे पहले ही भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ गए हैं. भगवान को बुखार आ गया है. जानिए इसकी वजह क्या है?
Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा 27 जून से शुरू होने वाली है. यह रथ यात्रा भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस रथयात्रा में शामिल होने के लिए भगवान जगन्नाथ के भक्त दुनिया भर से आते हैं. इस साल 27 जून को आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि है और इसी दिन से रथयात्रा शुरू होगी. लेकिन इससे पहले 15 दिन के लिए भगवान जगन्नाथ बीमार हो गए हैं.
दरअसल, रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान कराया जाता है. इस रस्म को स्नान यात्रा कहते हैं. स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं, उन्हें बुखार हो जाता है. जिससे वे एकांतवास में चले जाते हैं. इस दौरान किसी भी भक्त को उनके पास जाने की अनुमति नहीं होती है. साथ ही उनका इलाज चलता है.
भगवान जगन्नाथ के बीमार पड़ने के पीछे एक रोचक कहानी है. किसी समय में माधवदास नाम के व्यक्ति थे. वे बेहद सीधे-सादे थे. उनके परिवार में केवल पत्नी और वे ही बचे थे. जब पत्नी बीमार हुई और उनका अंतिम समय आया तो उन्होंने पत्नी से कहा- "अब जब तुम भी मुझे छोड़कर जा रही हो तो मैं किस के भरोसे रहूंगा. कौन मुझसे प्रेम करेगा.?" यह कहकर माधवदास रोने लगे.
तब माधवदास की पत्नी ने कहा कि वे पुरी में भगवान जगन्नाथ की शरण में चले जाएं, वही उनसे प्रेम करेंगे और उनका ध्यान रखेंगे. माधवदास की पत्नी भगवान जगन्नाथ की परम भक्त थीं. जब माधवदास की पत्नी की मृत्यु हो गई तो वे पुरी चले आए.
माधवदास जब पुरी पहुंचे तो मंदिर के सामने एक पेड़ की छांव में बैठ गए. वहां से एक पुजारी गुजर रहे थे तो उन्होंने माधवदास को प्रसाद दिया, लेकिन माधवदास ने प्रसाद लेने से इनकार कर दिया और कहा कि भगवान जगन्नाथ स्वयं आकर जब प्रसाद देंगे तभी वे कुछ खाएंगे. लंबा समय गुजर गया लेकिन माधवदास ने भगवान जगन्नाथ के हाथ से ही अन्न-जल ग्रहण करने का हठ नहीं छोड़ा.
भक्त माधवदास की तपस्या देखकर भगवान जगन्नाथ को आना पड़ा और फिर अपने वास्तविक रूप में दर्शन देकर माधवदास को अन्न ग्रहण कराया. इसके बाद माधवदास कई साल तक पुरी में रहे और भगवान जगन्नाथ जी की भक्ति करते रहे. जब उनका अंतिम समय आया और वे बुरी तरह बीमार पड़ गए तो भगवान जगन्नाथ ने स्वयं उनकी सेवा की.
बीमारी से परेशान माधवदास ने एक दिन दिन भगवान जगन्नाथ से कहा-प्रभु! आप तो जगत के स्वामी हैं, तो क्या आप मेरी बीमारी ठीक नहीं कर सकते?" इसके जवाब में भगवान जगन्नाथ ने कहा- "मित्र माधवदास! मैं तुम्हें मोक्ष देना चाहता हूं. पिछले जन्म के कर्म भोगने के बाद तुम पवित्र हो जाओगे. अभी तुम्हारी बीमारी के बस 15 दिन बचे हैं." यह सुनकर माधवदास रोने लगे कि मुझे बहुत पीड़ा हो रही है. तब प्रभु जगन्नाथ ने माधवदास की 15 दिनों की बची हुई बीमारी की पीड़ा अपने ऊपर ले ली. माधवदास ठीक हो गए लेकिन प्रभु जगन्नाथ बीमार पड़ गए. इस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा थी. तब से ही परंपरा है कि भगवान जगन्नाथ ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद से 15 दिन के लिए बीमार होते हैं और एकांतवास में चले जाते हैं.
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