Speed of indian trains: भारत में ट्रेनें न केवल सफर का सबसे किफायती साधन हैं, बल्कि देश के करोड़ों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा भी हैं. बीते कुछ सालों में रेलवे ने हाई-स्पीड ट्रेनों के मोर्चे पर भी तेजी से प्रगति की है. वंदे भारत जैसी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन के आने के बाद अब लोग यह जानना चाहते हैं कि भारत की सबसे तेज ट्रेन कौन-सी है? राजधानी, दुरंतो, सुपरफास्ट एक्सप्रेस या फिर मेल ट्रेनें- किसकी रफ्तार सबसे तेज है? आइए जानते हैं.
वंदे भारत एक्सप्रेस, भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन, रफ्तार के मामले में सबसे आगे है. इसकी टॉप स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटे (किमी/घंटा) है, हालांकि औसत स्पीड 80-96 किमी/घंटा के बीच रहती है, जो रेलवे ट्रैक की स्थिति पर निर्भर करती है. नई दिल्ली-वाराणसी रूट पर यह 96.37 किमी/घंटे की औसत स्पीड से 771 किलोमीटर की दूरी 8 घंटे में तय करती है. हजरत निजामुद्दीन-रानी कमलापति रूट पर 95.89 किमी/घंटे की औसत स्पीड इसे दूसरी सबसे तेज वंदे भारत बनाती है. इसकी मॉर्डन टेक्नोलॉजी और आरामदायक सुविधाएं इसे 'रफ्तार की रानी' के लिए मजबूत दावेदार बनाती हैं.
1969 में शुरू हुई राजधानी एक्सप्रेस भारत की सबसे प्रतिष्ठित ट्रेनों में से एक है. इसकी अधिकतम स्पीड 140 किमी/घंटा है और औसत स्पीड 88-90 किमी/घंटे के आसपास रहती है. मुंबई-नई दिल्ली राजधानी (12951) 1385 किलोमीटर की दूरी 15 घंटे 50 मिनट में तय करती है, जो 90.46 किमी/घंटे की औसत गति से चलती है. न्यू दिल्ली-हावड़ा राजधानी (12302) 1450 किलोमीटर 17 घंटे 20 मिनट में पूरा करती है.
दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेनें बिना रुके लंबी दूरी तय करने के लिए जानी जाती है और इसकी टॉप स्पीड 135 किमी/घंटा है. न्यू दिल्ली-सीलदह दुरंतो (12260) और न्यू दिल्ली-हावड़ा दुरंतो (12273) 1450-1457 किलोमीटर की दूरी 17 घंटे से कम समय में तय करती हैं, इनकी औसत स्पीड 91.13 किमी/घंटे के आसपास रही है.
सुपरफास्ट एक्सप्रेस, जैसे मुंबई एलटीटी-हजरत निजामुद्दीन (22109), की टॉप स्पीड 130 किमी/घंटे है. यह 1,521 किलोमीटर की दूरी 20 घंटे से कम में तय करती है. इसी तरह, मुंबई सेंट्रल-अहमदाबाद डबल डेकर (12932) भी 130 किमी/घंटे की गति से 493 किलोमीटर 7 घंटे में पूरा करता है. यह ट्रेन बजट और आराम का बैलेंस प्रदान करती है.
मेल ट्रेनों की स्पीड आमतौर पर 50-70 किमी/घंटे के बीच होती है, जो उन्हें सबसे धीमी बनाती है. ये ट्रेनें ज्यादा स्टॉप लेती हैं ताकि यात्रियों को चढ़ने-उतरने का मौका मिल सके और इनकी प्रायोरिटी उद्देश्य तेज गति के बजाय डाक और पार्सल की डिलीवरी होता है.