Iphone In India: भारत को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के मन में कड़वाहट का नतीजा एक बार फिर से सामने आया है. टैरिफ बम की भंडार लेकर घूम रहे ट्रंप ने भारत और आईफोन निर्माता एप्पल के रिश्तों पर हमला किया. ट्रंप नहीं चाहते कि एप्पल आईफोन की असेंबलिंग भारत में करें. मेड इन इंडिया आईफोन को अमेरिका में बेचे.
Apple Iphone in India: भारत को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के मन में कड़वाहट का नतीजा एक बार फिर से सामने आया है. टैरिफ बम की भंडार लेकर घूम रहे ट्रंप ने भारत और आईफोन निर्माता एप्पल के रिश्तों पर हमला किया. ट्रंप नहीं चाहते कि एप्पल आईफोन की असेंबलिंग भारत में करें. मेड इन इंडिया आईफोन को अमेरिका में बेचे. भारत से खीज या भारत की तरक्की से घबराए डोनाल्ड ट्रंप ने एप्पल को चेतावनी दे डाली. उन्होंने कहा कि अगर भारत में कंपनी आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग करेगी तो उसे 25 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. हालांकि ये पहला मौका नहीं है. इससे पहले भी ट्रंप आईफोन मैन्युफैक्चर को धमका चुके हैं, लेकिन कंपनी के कान पर जूं तक नहीं रेंगा.
जितनी आसानी से ट्रंप ने एप्पल सीईओ को भारत में कारोबार खत्म करने की धमकी दे दी, कंपनी के लिए उसे समेटना इतना आसान नहीं है. आज स्थिति ऐसी है कि हर 5 में से एक आईफोन भारत में असेंबल होता है. एप्पल के आईफोन की कुल प्रोडक्शन में लगभग 20 फीसदी भारत में तैयार होता है. पिछले एक साल में एप्पल ने भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी को 60 फीसदी तक बढ़ाया है.
चीन और अमेरिका की तनातनी के चलते एप्पल भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने पर विचार कर रहा है. इस साल भारत में 25 मिलियन आईफोन बनाएगी, जिसमें से 10 मिलियन भारत में ही बिकेंगे और बाकी के अमेरिका जाएगा, लेकिन ट्रंप एप्पल की प्लानिंग पर पानी फेरने वाली बयानबाजी कर रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहे जितनी धमकियां दे , लेकिन हकीकत ये है कि एप्पल के लिए भारत छोड़ना आसान नहीं है. भारत छोड़ने से कंपनी आर्थिक दवाब में चली जाएगी. एप्पल की इकोनॉमिक्स बिगड़ जाएगी. अब उस गणित को समझते हैं, जिसे जानकर आप भी यकीन कर लेंगे कि क्यों एप्पल ट्रंप को ठेंगा दिखाकर भारत में विस्तार कर रहा है.
आईफोन के पार्ट्स कई देशों में बनते हैं. 1000 डॉलर के एक आईफोन से इसके लागत, कमाई को समझते हैं. एक आईफोन को तैयार करने में एक दर्जन से अधिक देशों का योगदान लगता है. अगर इसके कैलकुलेशन को समझे तो एप्पल के ब्रांड, सॉफ्टवेयर और डिजाइन पर सबसे ज्यादा कमाई करता है. मूल्य का सबसे बड़ा हिस्सा यानी हर आईफोन पर करीब 450 डॉलर अपने पास रखता है. इसके बाद ताइवान में चिप मैन्युफैक्चरिंग पर 150 डॉलर कमाता है. दक्षिण कोरिया से OLED स्क्रीन और मेमोरी चिप्स के लिए 90 डॉलर कमाता है. जापान में 85 डॉलर की कमाई के साथ कैमरा मॉड्यूल्स की सप्लाई करता है. इसी तरह जर्मनी, वियतनाम और मलेशिया में छोटे भागों के माध्यम से अन्य 45 अमेरिकी डॉलर का योगदान है. अमेरिका की सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी 80 डॉलर कमाती है. .
इन सबके बाद सबसे जरूरी है आईफोन की असेंबलिंग, जो भारत और चीन में होता है. GTRI के डेटा के मुताबिक भारत और चीन में आईफोन असेंबलिंग पर सिर्फ 30 डॉलर की कमाई होती है, जो सबसे कम है. आईफोन असेंबली के प्रमुख प्लेयर होने के बावजूद यहां प्रति डिवाइस केवल 30 अमेरिकी डॉलर है, जो कि iPhone की कुल खुदरा कीमत का सिर्फ 3 फीसदी से भी कम है.
अब अगर एप्पल असेंबलिंग यूनिट को भारत से अमेरिका शिफ्ट करता है तो उनका पूरा यूनिट इकोनॉमिक्स बिगड़ जाएगा. इस कैलकुलेशन को जरा समझते हैं. भारत में श्रम लागत यानी लेबर कॉस्ट काफी कम है. भारत में, मोबाइल असेंबल करने पर एप्पल को 230 अमेरिकी डॉलर प्रति माह खर्च आता है, लेकिन अगर इसे कैलिफोर्निया जैसे अमेरिकी राज्यों में शिफ्ट किया गया तो वहां एक लेबर कॉस्ट पर करीब 2,900 अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा, जो भात से 13 गुना ज्यादा है. भारत में एक आईफोन की असेंबलिंग में 30 डॉलर का खर्च आता है, अगर यहीं असेंबलिंग अमेरिका में हुई तो ये खर्च बढ़कर 390 डॉलर पर पहुंच जाएगा. इसके अलावा Apple को भारत में iPhone बनाने पर सरकार से प्रोडक्ट-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) का लाभ मिलता है, जो अमेरिका में नहीं मिलेगा.
यदि ट्रंप की बात मानकर एप्पल अपनी फैक्ट्री को अमेरिका में ट्रांसफर कर भी देता है तो बढ़े हुए लेबर कॉस्ट और असेंबलिंग कॉस्ट की वजह से आईफोन की कीमत कई गुना बढ़ जाएगा. अगर कीमत को नियंत्रित करने के लिए एप्पल खुद नुकसान सहने की जिम्मेदारी उठाता है तो उनका प्रॉफिट 450 अमेरिकी डॉलर से घटकर केवल 60 अमेरिकी डॉलर पर पहुंच जाएगा. ये गलती कोई कंपनी जानबूझ कर तो नहीं ही करना चाहिए. अब अगर उसे ट्रंप के 25 फीसदी टैरिफ झेलनी बी पड़े तो भी भारत में असेंबलिंग कॉस्ट प्रति आईफोन 25 पीसदी बढ़कर 7.5 जॉलर बढ़ जाएगी, जो कि 37.5 डॉलर पर पहुंच जाएगा. ये खर्च फिर भी अमेरिका में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट( 390 डॉलर) से कम है. यानी कुल मिलाकर भारत से कारोबार समेटना एप्पल के लिए अपने मुनाफे पर सीधा-सीधा कैंची चलाने जैसा है.