आजकल लोग अपनी हेल्थ और अच्छी लाइफस्टाइल को लेकर पहले से ज्यादा अलर्ट हो गए हैं। इसी दिशा में पतंजलि रिसर्च इनोवेशन भारत के हेल्थ सेक्टर के फ्यूचर को नया आकार देने में बहुत बड़ा रोल प्ले कर रहा है। ये आयुर्वेद और मॉडर्न साइंस को जोड़कर ऐसी मेडिसिन और ट्रीटमेंट्स डेवलप कर रहे हैं, जो साइंटिफिक तरीके से साबित हो। इससे ट्रेडिशनल आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट को साइंटिफिक तरीके से साबित करने का मजबूत आधार मिल रहा है लेकिन सवाल यह उठता है कि भारत में हेल्थकेयर का भविष्य कैसे बना रहा है पतंजलि रिसर्च इनोवेशन? चलिए, इसे समझते हैं।
आयुर्वेद और मॉडर्न साइंस को जोड़ना
पतंजलि सिर्फ ट्रेडिशन जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल तक लिमिटेड नहीं है, बल्कि वो आयुर्वेद को मॉडर्न साइंटिफिक रिसर्च के साथ जोड़कर काम कर रहा है। जैसे कि साल 2024 में पतंजलि रिसर्च सेंटर के आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि ट्रीटमेंट के लिए हर्बल औषधियों पर किए गए एक स्टडी में 'छोटी कटेली' (सोलनम वर्जिनियानम एक्सट्रैक्ट - SVE) को फायदेमंद पाया गया है, जो गंभीर बीमारी से लड़ने में लोगों के लिए हेल्पफुल हो सकती हैं।
पंतजलि की क्लिनिकल सर्विसेज
पतंजलि के पास हजारों की संख्या में डॉक्टर्स और कई क्लिनिकल सर्विसेज हैं, जो ग्रामीण जगहों में पहुंच बढ़ा रहे हैं। वे आउटपेशेंट और इनपेशेंट सर्विसेज देते हैं। जिसमें लाइफस्टाइल चेंज और हर्बल दवाइयां शामिल हैं। रिसर्च से पता चलता है कि पतंजलि का काम सस्ते समाधान देता है। जैसे टीबी के लिए हर्बल इलाज, जो महंगे ड्रग्स से राहत दे सकता है। इसके साथ ही वे 5,500 से ज्यादा औषधीय पौधों की जानकारी रखते हैं, जो घरेलू उपचार को बढ़ावा देता है।
इनकी सबसे बेहतर बात ये है कि पतंजलि ग्लोबल लेवल पर आयुर्वेद को बढ़ावा देना चाहते हैं, जो भारत को हेल्थकेयर में लीडर बना सकता है, और उनका काम विकसित भारत की पहल के अनुरूप है।
भरोसेमंद रिसर्च
पतंजलि की रिसर्च को भारत सरकार के NABL, DSIR, DBT जैसे स्टैंडर्ड पर पूरी तरह से खरा उतरा है। और वे SRM CCTR जैसे अन्य इंस्टिट्यूट के साथ मिलकर क्लिनिकल ट्रायल्स कर रहे हैं। इससे उनकी रिसर्च और भी ज्यादा भरोसेमंद और साइंटिफिक तरीके मजबूत बन रही है। जिस पर लोग आसानी से ट्रस्ट कर सकते हैं।
इसके अलावा ये जानकर हैरानी होगी कि पतंजलि सिर्फ मेडिसिन पर ही काम नहीं कर रहा, बल्कि पुरानी आयुर्वेदिक बुक्स को बचाने और पब्लिश करने में भी जुटा हुआ है। क्योंकि यह स्टेप आने वाले टाइम में नई रिसर्च के लिए मजबूत आधार बना सकता है, जिससे आयुर्वेद को और बेहतर तरीके से समझा और आगे बढ़ाया जा सकेगा।
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