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पतंजलि ने कैसे आयुर्वेद को बचाया और नए जमाने के हिसाब से बदला?

पतंजलि आयुर्वेद ने भारत में सेहत और फिटनेस को लेकर लोगों की सोच को काफी बदला है. आयुर्वेद को बचाने और उसे आज के जमाने के हिसाब से ढालने में पतंजलि का क्या रोल रहा है, ये शायद आपको पूरी तरह न पता होगा. तो चलिए इसे समझते हैं.

पतंजलि ने कैसे आयुर्वेद को बचाया और नए जमाने के हिसाब से बदला?
Zee News Desk|Updated: Mar 28, 2025, 05:36 PM IST
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पतंजलि आयुर्वेद ने भारत में सेहत और फिटनेस को लेकर लोगों की सोच को काफी बदला है, क्योंकि इसे स्वामी रामदेव ने आयुर्वेद को मॉर्डन साइंस जोड़कर दुनिया भर में पहचान दिलाई है. जिससे बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियों को तगड़ी टक्कर मिली हैं. पतंजलि, जिसे बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने 2006 में शुरू किया. तब उन्होंने नहीं सोचा होगा कि यह कंपनी भारत में अरबों रुपये का बिजनेस खड़ा देगी. वहीं पतंजलि, आयुर्वेद को बचाने और उसे आज के जमाने के हिसाब से ढालने में क्या रोल रहा है, ये शायद आपको पूरी तरह न पता होगा. तो चलिए इसे समझते हैं.

पतंजलि ने बदली लोगों की लाइफस्टाइल

जब पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत हुई, तब सबसे पहले 'दिव्य फार्मेसी' के नाम से सिर्फ आयुर्वेदिक दवाईयां बेची जाती थीं. लेकिन बाद में पतंजलि ब्रांड के तहत कंपनी ने टूथपेस्ट, शैंपू, साबुन और दूसरे रोजाना के इस्तेमाल वाले प्रोडक्ट्स भी मार्केट में लाएं. इनमें उनका टूथपेस्ट दंतकांति लोगों के बीच खूब पॉपुलर हुआ, और पतंजलि का हीरो प्रोडक्ट बन गया.

पतंजलि के प्रोडक्ट्स इतने पॉपुलर हो गए कि बाजार में पहले से मौजूद ज्यादातर टूथपेस्ट की सेल डाउन चली गई. परेशानी इतनी बढ़ गई कि बड़ी-बड़ी कंपनियों को खुद को बचाने के लिए अपने फेमस ब्रांड के 'आयुर्वेदिक वर्जन' लॉन्च करने पड़ गए. इस तरह पतंजलि ने सिर्फ प्रोडक्ट्स नहीं बेचे, बल्कि लोगों की लाइफ में आयुर्वेद को वापस लाकर उनकी लाफस्टाइल का तरीका ही बदल दिया.

पतंजलि ऐसे बना लोगों का फेवरेट

भारतीयों को हमेशा से मसालों, अनाज और घरेलू नुस्खों के फायदे पता थे. पहले आयुर्वेद को लोग दादी-नानी के नुस्खों तक सीमित समझते थे, या फिर कुछ पुराने वैद्यों की बात. पतंजलि ने इसी पर भरोसा जताया और लोगों को समझाया कि उनके प्रोडक्ट पूरी तरह शुद्ध और आयुर्वेदिक तरीके से तैयार किए जा रहे हैं. यहां तक की बाबा रामदेव वीडियो के जरिए लोगों को कंपनी की फैक्ट्री के बीच लेकर गए, जिससे लोगों का भरोसा बढ़ा.

इतना ही नहीं, पतंजलि ने मार्केटिंग के पुराने तरीके भी बदल दिया. शुरुआत में कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स मॉल या जनरल स्टोर में नहीं बेचे, बल्कि खास कई जगहों पर 'पतंजलि स्टोर' खोले. इन स्टोर पर आयुर्वेदिक डॉक्टर भी रखे गए, जो लोगों को फ्री में चेकअप कर के आयुर्वेदिक इलाज बताते और पतंजलि के प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने की सलाह देते.

पतंजलि ने देसी प्रोडक्ट को दिया मॉडर्न लुक

पहले लोग आंवला और गिलोय जैसी चीज़ों को इस्तेमाल करने में काफी हिचकते थे, लेकिन पतंजलि ने इन्हें रेडी-टू-ड्रिंक जूस के रूप में बदल के इसे लॉन्च किया. इससे लोगों में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स को खरीदने का एक्साइटमेंट बढ़ा, क्योंकि अब बिना किसी परेशानी के ये आसानी से इस्तेमाल किए जा सकते थे.

इसी तरह, अश्वगंधा और त्रिफला जैसे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को सिर्फ पाउडर तक लिमिटेड नहीं रखा. बल्कि, मॉडर्न स्टाइल में टैबलेट के रूप में भी उतारा. इससे लोगों के लिए इनका सेवन करना और भी आसान हो गया. कोविड के टाइम में भी पतंजलि ने इम्यूनिटी बूस्टर प्रोडक्ट्स लॉन्च किए, जिससे लोगों का भरोसा आयुर्वेद पर और बढ़ा.

योग और आयुर्वेद को लोगों ने फटाफट क्यों अपनाया

बाबा रामदेव पहले से ही एक बड़े 'योगगुरु' से लोगों के बीच खूब पॉपुलर थे. जब उनका नाम पतंजलि से जुड़ा, तो लोगों ने योग और आयुर्वेद को बिना कोई समय बर्बाद किए अपनाना शुरू कर दिया. योग से हेल्थ के जबरदस्त फायदे तो पहले से ही थे. लेकिन बाबा रामदेव ने पतंजलि के जरिए आयुर्वेद को भी उसी से जोड़ दिया. इससे लोगों को भरोसा होने लगा कि योग और आयुर्वेद मिलकर उनकी हेल्थ को और बेहतर बना सकते हैं. धीरे-धीरे लोगों ने इसे अपनी रोजमर्रा की लाइफस्टाइल में शामिल कर लिया.

वहीं इसी दौरान, दुनिया भर में भी लोगों योग और आयुर्वेद के प्रति क्रेज बढ़ने लगा. यूनाइेड नेशन ने 21 जून को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' अनाउंस कर दिया, जिससे वर्ल्ड लेवल पर भी इसकी पहचान बनी. अलग-अलग देशों में योग से जुड़े बड़े इवेंट होने लगे, और इसका डायेक्ट असर ये हुआ कि लोगों का योग और आयुर्वेद की तरफ खींचे चले आए.

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