योग, जो भारत में शुरू हुआ एक बहुत पुराना तरीका है, आज दुनिया भर में इसलिए इतना फेमस हो गया है क्योंकि ये हेल्थ और अच्छी जिंदगी के लिए एक पूरा तरीका बताता है। योग के कई अलग-अलग तरीके हैं, लेकिन पतंजलि के योग सूत्र को सबसे जरूरी माना जाता है। ये एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें योग से जुड़ी अहम बातें और कैसे करना है, ये सब समझाया गया है। अगर कोई इंसान पतंजलि की बातों को ठीक से समझकर प्रैक्टिस करें, तो उसे सिर्फ शरीर की फिटनेस ही नहीं, बल्कि दिमाग की साफ सोच, इमोशनल बैलेंस और अंदरूनी यानी आत्मिक तरक्की भी मिल सकती है।
आइए जानते हैं आखिर पतंजलि योग टेक्निक आसानी से और नेचुरली अपनी हेल्थ वापस पाने का तरीका कैसे देती है?
समझें पतंजलि के योग फिलॉसफी को
पतंजलि, जिन्हें योग का जनक कहा जाता है, उन्होंने करीब 400 ईस्वी के आस-पास योग सूत्र नाम का ग्रंथ लिखा था। इसमें कुल 196 छोटे-छोटे सूत्र हैं, जो योग करने वालों को सेल्फ-नॉलेज की ओर बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं। पतंजलि की सोच योग के आठ हिस्सों पर टिकी है, जिसे अष्टांग योग कहा जाता है। इन अंगों में नैतिक सिद्धांत (यम और नियम), शारीरिक मुद्राएं (आसन), श्वास नियंत्रण (प्राणायाम), संवेदी वापसी (प्रत्याहार), एकाग्रता (धारणा), ध्यान (ध्यान) और अंतिम अवशोषण (समाधि) शामिल हैं।
पतंजलि योग टेक्निक को अपनाने के फायदे
फिजिकल हेल्थ: अगर आप पतंजलि द्वारा बताए गए योग के आसन और सांस की तकनीकों (प्राणायाम) को डेली करते हैं, तो इससे आपके शरीर में लचीलापन और ताकत बढ़ती है। इससे पुराना दर्द कम हो सकता है, आपकी शरीर की मुद्रा सुधरती है और आपकी रोगों से लड़ने की ताकत भी बढ़ती है।
मन की शांति (Mental Clarity): पतंजलि की एजुकेशन में एकाग्रता और ध्यान पर जोर दिया गया है, जो मन को शांत करने, स्ट्रेस को कम करने और कॉग्निटिव वर्क को बढ़ाने में हेल्प करता है। धारणा और ध्यान प्रैक्टिस करने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है, मेमॉरी बेहतर होती है।
इमोशनल बैलेंस: यम और नियम - जीवन जीने के लिए नैतिक दिशा-निर्देश के माध्यम से अभ्यासी करुणा, ईमानदारी, आत्म-अनुशासन और संतोष विकसित कर सकते हैं। इससे भावनात्मक लचीलापन बढ़ता है, रिश्तों में सुधार होता है और आंतरिक शांति की भावना पैदा होती है।
स्पिरिचुअल ग्रोथ: योग में पतंजलि का अंतिम लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार या समाधि है, गहन आध्यात्मिक जागृति की एक अवस्था जहां व्यक्ति घमंड की सीमाओं से परे चला जाता है और ईश्वर के साथ मिलन का एक्सपीरियंस करता है। आठ अंगों का लगन से पालन करके, अभ्यासी चेतना की इस उच्चतर अवस्था की ओर प्रगति कर सकते हैं।
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