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फ्लैट बायर्स से धोखा करने वालों की खैर नहीं, गुरुग्राम में ED की बड़ी कर्रवाई, बिल्डर की ₹681 करोड़ की संपत्ति जब्त

घर खरीदने के लिए लोग क्या नहीं करते. लोग अपनी पूरी जमापूंजी लगा देते हैं और कुछ बिल्डर लोगों को धोखा देकर उनके इस सपने पर ग्रहण लगा देते हैं.

 फ्लैट बायर्स से धोखा करने वालों की खैर नहीं, गुरुग्राम में ED की बड़ी कर्रवाई, बिल्डर की ₹681 करोड़ की संपत्ति जब्त
Bavita Jha |Updated: Jul 13, 2025, 07:37 AM IST
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Gurugram Flat: घर खरीदने के लिए लोग क्या नहीं करते. लोग अपनी पूरी जमापूंजी लगा देते हैं और कुछ बिल्डर लोगों को धोखा देकर उनके इस सपने पर ग्रहण लगा देते हैं. अब ऐसे बिल्डरों की खैर नहीं है.   प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है.  इसके अंतर्गत 681.54 करोड़ रुपए की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है.  

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय ने विभिन्न परियोजनाओं में विभिन्न घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी के एक मामले में बड़ी कार्रवाई की है.  एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत मेसर्स रामप्रस्थ प्रमोटर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (आरपीडीपीएल) और उसकी समूह कंपनियों की 681.54 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है. 

गुरुग्राम बिल्डर पर कार्रवाई  

कुर्क की गई संपत्तियों में गुरुग्राम के सेक्टर 37डी, सेक्टर 92 और 95 में स्थित रामप्रस्थ सिटी की लगभग 226 एकड़ की दो प्लॉटेड कॉलोनियां और गुरुग्राम, हरियाणा के गांव बसई, गडोली कलां, हयातपुर और वजीपुर में स्थित लगभग 1,700 एकड़ के भूखंड शामिल हैं. ईडी ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), नई दिल्ली और हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर के आधार पर पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की.  यह एफआईआर मेसर्स आरपीडीपीएल और इसके प्रमोटरों अरविंद वालिया, बलवंत चौधरी सिंह और संदीप यादव के खिलाफ कई घर खरीदारों की शिकायतों पर आधारित थी, जो वादा किए गए समय सीमा के भीतर फ्लैट और प्लॉट देने में विफल रहे थे.  

ईडी की जांच से पता चला है कि मेसर्स आरपीडीपीएल की विभिन्न परियोजनाएं जैसे प्रोजेक्ट एज, प्रोजेक्ट स्काईज, प्रोजेक्ट राइज और रामप्रस्थ सिटी (प्लॉटेड कॉलोनी प्रोजेक्ट) सेक्टर 37 डी, 92 और 95 गुरुग्राम में 2008-2011 में लॉन्च की गई थीं. साथ ही 14-17 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी फ्लैटों/प्लॉट की गई जमीनों पर कब्जा नहीं दिया गया है.  जांच से यह भी पता चला कि मेसर्स आरपीडीपीएल के प्रमोटरों/निदेशकों ने घर खरीदने वालों से एकत्रित धनराशि को वादा किए गए घरों को पूरा करने के लिए उपयोग करने के बजाय, भूमि के टुकड़े आदि खरीदने के लिए अग्रिम के रूप में अपनी समूह कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया.  इसके कारण अंततः आज तक फ्लैट और प्लॉट वितरित नहीं किए जा सके। इस मामले में आगे की जांच जारी है. आईएएनएस

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