Senior Living Concept in Realestate: एक समय देश के रियल एस्टेट सेक्टर में कमर्शियल स्पेस और फ्लैट की डिमांड तेजी से बढ़ी. आने वाले समय में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीनियर लिविंग के दम पर रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा बूम आने की उम्मीद है. CREDAI-KPMG की रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 में 15.7 करोड़ की सीनियर सिटीजन आबादी 2050 तक बढ़कर 34.6 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. यह आबादी देश की कुल जनसंख्या का 20.6% होगी. इस 35 करोड़ की आबादी को स्पेशल केयर वाली जगह की जरूरत होगी. इस सेक्टर के बढ़ने से बुजुर्गों की लाइफ बेहतर होने के साथ ही आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
2050 तक 38 करोड़ हो जाएगी बुजुर्गों की आबादी!
सीनियर लिविंग पर बात करते हुए पीएलपीबी (PLPB) के सीईओ सुमित सिंगला (Sumit Singla) कहते हैं भारत बड़े डेमोग्राफिक ट्रांसफॉरमेशन की तरफ बढ़ रहा है. देश में करीब 15 करोड़ लोग (करीब 10.5% आबादी) 60 साल की उम्र से ऊपर के है. साल 2050 तक यह संख्या बढ़कर 38 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. उस समय सीनियर सिटीजन की संख्या अमेरिका की मौजूदा आबादी से ज्यादा होगी. ऐसे में न्यूक्लीयर फैमिली का बढ़ता चलन और सीनियर सिटीजन की बढ़ती आबादी के लिहाज से सीनियर लिविंग निवेश अच्छा विकल्प बन रहा है.
क्या है सीनियर लिविंग का कॉन्सेप्ट?
सीनियर लिविंग (Senior Living) ऐसा कॉन्सेप्ट है, जिसे 60 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों के लिए स्पेशल तरीके से डिजाइन किया जाता है. इन घरों में मॉडर्न लाइफस्टाइल के ऑप्शन मिलते हैं. यह एरिया पारंपरिक 'वृद्धाश्रम' से अलग होती है. यहां बुजुर्गों को स्वतंत्रता के साथ हेल्थकेयर सुविधाएं और सोशल एंगेजमेंट मिलता है. इनका मकसद बुजुर्गों को आरामदायक, सिक्योर्ड और सक्रिय वातावरण मुहैया कराना होता है. सीनियर लिविंग एरिया में घर या अपार्टमेंट सीनियर सिटीजन की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किये जाते हैं. इनमें रैंप, लिफ्ट, सुरक्षित बाथरूम और कम मेंटीनेंस वाला इंफ्रास्ट्रक्चर होता है.
आसानी से मिलती हैं ये सुविधाएं
सीनियर लिविंग के तहत मेडिकल असिस्टेंस के लिए ऑनसाइट मेडिकल सर्विस, इमरजेंसी सर्विस, फिजियोथेरेपी आदि की सुविधा मिलती है. यहां न्यूट्रीशन से भरपूर भोजन की व्यवस्था होने के अलावा मनोरंजन और योग, बागवानी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, फिटनेस सेंटर और सोशल एक्टिविटी आदि के लिए भी जगह होती है. ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी यहां पर आसानी से मिल जाती है. इन सभी सुविधाओं के बीच बुजुर्गों को बेहतर लाइफ और निवेशकों को लंबे समय तक अच्छा मुनाफा मिल पाता है.
क्यों बढ़ रही सीनियर लिविंग की डिमांड?
पीएलपीबी के एमडी लोहित बंसल कहते हैं सीनियर लिविंग की बढ़ती डिमांड का कारण बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और युवाओं का बेहतर करियर की तलाश में बाहर जाना है. वह कहते हैं आबादी तेजी से बढ़ रही है और लैंड पार्सल पहले जितना ही है. जिस तरह फ्लैट्स का कल्चर बढ़ा, उस तरह सीनियर लिविंग का कल्चर भी आने वाले समय में तेजी से बढ़ेगा. बंसल बताते हैं पंजाब में यूथ के दूसरे देशों के रुख करने से गांव के गांव खाली पड़े हैं. मेट्रो सिटी में भी बच्चे अपने पेरेंट्स को टाइम नहीं दे पा रहे. बेहतर करियर की तलाश में युवा पीढ़ी देश छोड़ विदेश जा रही है.
इनकम और कैपिटल ग्रोथ का अच्छा मौका
लोहित कहते हैं करियर की तलाश में न्यूक्लीयर फैमिली (nuclear families) का चलन बढ़ रहा है. ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीनियर लिविंग की (dedicated senior living facilities) जरूरत बढ़ रही है जो उन्हें पूरा सहयोग दे सकें. दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरू, मुंबई, चेन्नई और चंडीगढ़ आदि शहरों में इस तरह की लोकेशन की मांग बढ़ रही है. स्पेशल केयर से जुड़ी जरूरतों के बारे में जागरूकता और लंबे समय तक अच्छे रिटर्न की संभावना से यह सेक्टर आने वाले समय में इनकम और कैपिटल ग्रोथ का अच्छा मौका दे रहा है. सुमित सिंगला कहते हैं कि यह सेक्टर आर्थिक उतार-चढ़ाव के दौरान भी स्थिर बना रहता है. ऐसे में इनवेस्टमेंट का यह ऑप्शन आने वाले समय में सुरक्षित निवेश का विकल्प है.
देश की आबादी में बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही
CREDAI-KPMG की रिपोर्ट के अनुसार जैसे-जैसे देश की आबादी में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है, उसी रेश्यो में सीनियर लिविंग सेक्टर की भी मांग बढ़ रही है. इससे सामाजिक जरूरत पूरी होने के साथ ही लोगों को आर्थिक फायदा भी हो रहा है. सुमित सिंगला कहते हैं, "बायोक्लाइमेटिक आर्किटेक्चर नेचुरल हवा और सूरज की रोशनी का उपयोग करके पूरे साल आराम देता है. इससे घर गर्मी और ठंड दोनों में बेहद आरामदायक बने रहते हैं. इस तरह के स्ट्रक्चर में आर्टिफिशियल और कूलिंग की जरूरत कम होती है. इससे लाइट के कंजम्पशन में कमी आती है." इससे यहां पर रहने वालों को आर्थिक बचत के साथ ही मानसिक शांति भी मिलती है.
पांच साल में मार्केट के चार गुना तक बढ़ने की उम्मीद
लोहित बंसल कहते हैं देश में सीनियर लिविंग का मार्केट अभी 1.8 बिलियन डॉलर का है. इसके 2030 तक बढ़कर चार गुने तक पहुंचने की संभावना है. अभी देशभर में केवल 20,000 सीनियर लिविंग यूनिट्स हैं, जबकि मांग 15-20 लाख यूनिट की है. डिमांड और सप्लाई के बीच का यही अंतर निवेशकों के लिए अच्छा मौका है. इस सेक्टर में शुरुआती निवेश करने वालों को आने वाले समय में अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद है. 50 और 60 साल की उम्र के लोग इन यूनिट्स को आने वाले समय के लिए निवेश के रूप में खरीद रहे हैं.
किराये के अलावा भी इनकम के ऑप्शन
360 रियल्टर्स के डायरेक्टर संजीव अरोड़ा का कहना है सीनियर सिटीजन को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे घरों का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. इस सेक्टर के बढ़ने से हेल्थकेयर, वेलनेस, फूड एंड बेवरेज (F&B), रिटेल और एंटरटेनमेंट सेक्टर को भी फायदा मिलेगा. इस समय सीनियर लिविंग मार्केट का करीब 60% हिस्सा साउथ में है. नॉर्थ इंडिया में करीब 20% की हिस्सेदारी है. मैनसम होम्स सीनियर लिविंग के को-फाउंडर अनंतराम वी. वरायुर का कहना है "जैसे-जैसे बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है और न्यूक्लीयर फैमिली की संख्या बढ़ रही है." यह सेक्टर किराये, सर्विस चार्ज और हेल्थ सर्विस से नियमित आमदनी देता है. इस कारण निवेश स्थिर और भरोसेमंद बन रहा है. आज बुजुर्ग रहने की जगह ही नहीं, बल्कि बेहतर लाइफस्टाइल चाहते हैं.