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Adi Kailash Darshan : आदि कैलास का एरियल दर्शन शुरू, जानें इसका महत्‍व और शिव-पार्वती विवाह से संबंध

आदि कैलास हवाई दर्शन: अब शिव भक्‍त आदि कैलाश और ओम पर्वत के हवाई दर्शन कर सकेंगे. भारत का कैलाश कहे जाने वाले आदि कैलाश का बड़ा धार्मिक महत्‍व है. यह पंच कैलाश में से एक है. 

Adi Kailash Darshan : आदि कैलास का एरियल दर्शन शुरू, जानें इसका महत्‍व और शिव-पार्वती विवाह से संबंध
Shraddha Jain|Updated: Apr 02, 2024, 11:01 AM IST
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Aerial Darshan of Adi Kailash and Om Parvat: अब पिथौरागढ़ आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु एक अनोखा अनुभव ले सकेंगे. अब वे आदि कैलाश और ओम पर्वत के हवाई दर्शन कर सकेंगे. 1 अप्रैल, सोमवार से आदि कैलास और ओम पर्वत के एरियल दर्शन सुविधा शुरू हो गई है. यह सुविधा धारचूला की व्यास घाटी स्थित आदि कैलाश और ओम पर्वत के हवाई दर्शन के लिए शुरू की गई है. इससे एक बार में 18 यात्री हेलीकॉप्‍टर के जरिए इस पवित्र पर्वत के दर्शन कर सकेंगे. हवाई दर्शन करने वाले लोगों को नैनीसैनी हवाई पट्टी से दर्शन कराकर यही छोड़ा जाएगा. यह सुविधा फिलहाल 7 दिनों के लिए शुरू की गई है. यदि लोगों को यह सेवा पसंद आई और यात्रियों की संख्या अच्छी रही तो इसे आगे बढ़ाया जाएगा. 

पंच कैलाश में से एक है आदि कैलाश 

आमतौर पर अधिकांश लोग कैलास मानसरोवर के बारे में ही जानते हैं. लेकिन आदि कैलास का भी खासा पौराणिक महत्‍व है और इसे कैलास का ही दर्जा प्राप्‍त है. आदि कैलाश को पंच कैलास में से एक माना जाता है. मान्‍यता है कि जब भोलेनाथ माता पार्वती से विवाह करने जा रहे तो रास्‍ते में उन्‍होंने इस स्‍थान पर अपना पड़ाव डाला था. अभी भी कैलास मानसरोवर की यात्रा करने वालों को आदि कैलास के रास्‍ते से होकर गुजरना पड़ता है. 

कैलास की प्रतिकृति है आदि कैलास 

उत्‍तराखंड राज्‍य में तिब्‍बत सीमा के पास समुद्रतल से 6190 मीटर की ऊंचाई पर आदि कैलास, कैलास पर्वत की ही प्रतिकृति लगता है. इसलिए इसे छोटा कैलास भी कहते हैं. इतना ही नहीं कैलास मानसरोवर की तरह ही आदि कैलास की तलहटी में पर्वतीय सरोवर है. इसे भी मानसरोवर ही कहा जाता है. इसमें कैलास की छव‍ि स्‍पष्‍ट द‍िखाई देती है. सरोवर के किनारे पर ही शिव और पार्वतीजी का मंदिर है. 

ऐसे करें आद‍ि कैलास की यात्रा

आदि कैलास तक पहुंचने में करीब 17 या 18 दिन लगते हैं. लेकिन आदि कैलास जाने के ल‍िए कैलास मानसरोवर की तरह आदि कैलास  औपचारिकताओं की जरूरत नहीं पड़ती. यात्री को उत्तराखंड के धरचुला कोर्ट से यात्रा का परमिट लेना होता है. फिर आधार कार्ड या अन्य कोई पहचान पत्र देना होता है. इसके बाद गुंजी होते हुए जौलिंगकोंग की ओर सफर करना होता है. वहीं ओम पर्वत अपनी ओम जैसी आकृति के कारण मशहूर है, अब इसका भी हवाई दर्शन किया जा सकेगा. 

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