Chandra Grahan 2025: खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वाले लोग सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं का बेसब्री से इंतजार करते हैं. यही वजह है कि हाल ही में इंटरनेट पर सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण लगने की चर्चा जमकर छाई रही. ये बात सही है कि आने वाले समय में दुनिया एक ऐसा सूर्य ग्रहण देखेगी, जिससे धरती के बड़े हिस्से पर अंधेरा छा जाएगा. ये सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को लगेगा. लेकिन उससे पहले कुछ और सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण लगेंगे. जिसमें से 2 ग्रहण सितंबर महीने में ही लगने जा रहे हैं. इसमें 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगेगा और उसके बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लगेगा.
साल 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण
7 सितंबर को लग रहा चंद्र ग्रहण साल 2025 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण होगा. 7 और 8 सितंबर की रात को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. इस दिन भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि होगी. भारतीय समय अनुसार साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9:58 मिनट से शुरू होकर 8 सितंबर को रात 1:26 मिनट तक रहेगा.
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कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण?
साल 2025 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा. इसके अलावा यह चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका के कई हिस्सों में भी देखा जा सकता है. साल 2025 में कुल 4 ग्रहण लगने हैं, जिनमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं. इसमें 7 सितंबर 2025 को लग रहा चंद्र ग्रहण ही एकमात्र ऐसा चंद्र ग्रहण है, जो भारत में दिखाई देगा. बाकी 3 ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं हैं.
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चंद्र ग्रहण 2025 सितंबर का सूतक काल
हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ नहीं माना गया है. इसलिए सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. साथ ही ग्रहण शुरू होने से पहले ही सूतक काल भी शुरू हो जाता है जो ग्रहण खत्म होने पर ही समाप्त होता है. हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले शुरू होता है और चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू होता है. लिहाजा 7 सितंबर को लग रहे चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12 बजकर 58 मिनट पर शुरू हो जाएगा.
चंद्र ग्रहण कब लगता है?
पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी का. जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है. इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. इससे पूरा चंद्रमा या उसका कुछ हिस्सा ढंक जाता है और वह दिखाई नहीं देता है. इस खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. पूर्णिमा के दिन यह खगोलीय घटना होती है.
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