Luxury Life in Kundli: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थ भाव को सुख, स्थिरता और गृह संपत्ति का प्रतीक माना गया है. यह भाव व्यक्ति के जीवन में मकान, भूमि, फ्लैट या अन्य अचल संपत्तियों के मालिक और उनसे मिलने वाले सुख को दर्शाता है. वर्तमान समय में स्वयं का घर होना न केवल सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि व्यक्ति के पुरुषार्थ और सामाजिक पहचान का भी संकेत है. जन्मकुंडली में इस भाव की स्थिति देखकर यह आकलन किया जाता है कि जातक को अपने जीवन में भवन या भूमि का सुख मिलेगा या नहीं. आइए जानते हैं कि कुंडली का कौन सा भाव जीवन में भूमि, भवन और वाहन सुख को दर्शाता है.
चतुर्थ भाव और चतुर्थेश की भूमिका
जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव और उसके स्वामी, जिसे चतुर्थेश कहा जाता है. कुंडला का चतुर्थेश जितना अधिक सशक्त होता है, जातक को उतना ही स्थिर और सुखद गृह जीवन प्राप्त होता है. भूमि-भवन से संबंधित फल जानने के लिए चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और मंगल ग्रह (जो अचल संपत्ति का कारक है) की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया जाता है.
ऐसे में जरूर मिलेगा भूमि सुख
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर चतुर्थेश उच्च राशि में, स्वयं की राशि में या त्रिकोण/केन्द्र में स्थित हो, तथा शुभ ग्रहों की दृष्टि या युति प्राप्त कर रहा हो, तो व्यक्ति को उचित समय पर घर और भूमि का सुख अवश्य मिलता है.
शुभ योग और लाभकारी दशाएं
जब चतुर्थेश की दशा या योगकारक ग्रहों की दशा-अंतर्दशा चल रही हो और ग्रहों का गोचर भी अनुकूल हो, तब व्यक्ति को अचल संपत्ति का लाभ होता है.
अगर, चतुर्थेश और दशमेश का आपस में स्थान परिवर्तन हो और मंगल बलवान होकर चतुर्थ भाव पर दृष्टि डाले, तो भू-संपत्ति मिलने का योग बनता है.
चतुर्थेश सप्तम भाव में और शुक्र चतुर्थ भाव में स्थित होकर परस्पर मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए, तो स्त्री पक्ष से भवन अथवा भूमि की प्राप्ति संभव होती है.
अशुभ योग और बाधाएं
यदि चतुर्थ भाव में पाप ग्रह स्थित हो या उनकी दृष्टि इस भाव पर पड़ रही हो, तो गृह सुख में बाधा उत्पन्न होती है. ऐसे जातक जीवन में कई बार मकान बदलते हैं या किराए के घर में रहते हैं और स्थिर संपत्ति का सुख देर से प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)