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Mahakumbh 2024: महाकुंभ में आज प्रवेश करेंगे साधु-संतों के अखाड़े, हाथी-घोड़ों पर शाही अंदाज में निकलेगी पेशवाई; दुनिया देखेगी भारत की संस्कृति

Prayagraj Mahakumbh 2025 Latest News: प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ के लिए साधु-संतों के अखाड़े भी तैयार हो रहे हैं. छावनी प्रवेश के अवसर प्रयागराज में शाही अंदाज में उनकी पेशवाई निकाली जाएगी. 

Mahakumbh 2024: महाकुंभ में आज प्रवेश करेंगे साधु-संतों के अखाड़े, हाथी-घोड़ों पर शाही अंदाज में निकलेगी पेशवाई; दुनिया देखेगी भारत की संस्कृति
Devinder Kumar|Updated: Dec 14, 2024, 07:43 AM IST
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Juna Akhara in Prayagraj Mahakumbh 2025: यूपी के प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ के लिए साधुओं के अखाड़े भी तैयारी में जुटे हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से जुड़े 13 अखाड़ों के हजारों साधु-संत आज से महाकुंभ में बनी अपनी छावनियों में प्रवेश करना शुरू कर देंगे. अखाड़ों में बने साधुओं के शिविरों को छावनी कहकर संबोधित किया जाता है. वे आज यानी 14 दिसंबर को हाथी-घोड़े, ऊंट, पैदल और विभिन्न वाहनों के जरिए सुबह 11 बजे महाकुंभ छावनी में प्रवेश करेंगे. 

कई राज्यों के बैंड भी होंगे पेशवाई में शामिल

जानकारी के मुताबिक जूना अखाड़े के संत मौज़गीरी आश्रम से त्रिवेणी मार्ग पर बने अखाड़े के शिविर के लिए रवाना होंगे. इसमें संत, महंत, महामंडलेश्वर, जगद्गुरु और नागा संत पेशवाई छावनी प्रवेश के प्रमुख आकर्षण होंगे. रथ, बग्घी और घोड़ों पर सवार होकर साधु-संतों की शाही अंदाज में पेशवाई निकलेगी. इसमें पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड के डीजे, बैंड भी शामिल रहेंगे. 

आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी करेंगे अगुवाई

कुंभ से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, अखाड़े के महामंडलेश्वर चांदी के हौदे पर सवार होंगे. जबकि सबसे आगे नागा संत घोड़ों पर सवार होकर चलेंगे. यह पेशवाई जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी की अगुवाई में निकलेगी. जबकि संरक्षक हरि गिरी और अध्यक्ष महंत प्रेमगिरी महाराज व्यवस्था संभालेंगे. जूना अखाड़ा की तैयारियों को लेकर पालकी रथ तैयार हो रहे हैं. 

महाकुंभ में शिविर तैयार करने का काम जोरों पर 

महाकुंभ में फिलहाल अखाड़ों के शिविर तैयार करने का काम जोरों पर चल रहा है. इस काम में बड़ी संख्या में कारीगर लगे हुए हैं. इन शिविरों को भारतीय आध्यात्मिक परंपरा और मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है. इन शिविरों में अखाड़े से जुड़े संबंधित साधु-संत तो ठहर ही सकेंगे. साथ ही महाकुंभ दर्शन के लिए जाने वाले साधु-संत भी वहां पर जाकर दर्शन कर सकेंगे.

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