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Shani Gochar 2025: 'पिता-पुत्र' का मीन राशि में एक साथ मिलन और 'घातक' सूर्य ग्रहण, 29 मार्च का 'अमंगल' योग क्या दे रहा बड़ा संकेत

Surya Shani Yuti 2025: इस 29 मार्च को बड़ी खगोलीय घटना होने जा रही है. इस दिन सूर्य और शनि यानी पिता-पुत्र की जोड़ी एक साथ मीन राशि में होगी. साथ ही उस दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ेगा. यह अजीब संयोग आखिर किस बात का संकेत दे रहा है. 

Shani Gochar 2025: 'पिता-पुत्र' का मीन राशि में एक साथ मिलन और 'घातक' सूर्य ग्रहण, 29 मार्च का 'अमंगल' योग क्या दे रहा बड़ा संकेत
Devinder Kumar|Updated: Mar 19, 2025, 04:44 AM IST
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Pahla Surya Grahan aur Surya Shani Yuti 2025 Effects: शनि अमंगलकारी हैं, खासतौर पर अपनी वक्री चाल और महादशा की स्थिति में. शनि ग्रह को लेकर ऐसी मान्यता क्यों बनी? और इसकी वजह से क्या 2025 में कुछ भयानक होने वाला है? अगर हां, तो इसका शनि और मंगल ग्रह से क्या कनेक्शन है? आज की स्पेशल रिपोर्ट में ये पूरा रहस्य हम आपको समझाएंगे. कैसे ये ग्रह धरती को भौतिक और इंसानों को मानसिक तौर पर प्रभावित करता है. ये पूरी रिपोर्ट ज्योतिषशास्त्र और इसके जानकारों की राय के आधार पर हमने तैयार की है. समझिए, 2025 के मंगल में कैसे अमंगल करे वाले हैं शनि.

मारी गई थी रावण-कैकेयी की मति

अगर पौराणिक मान्यताओं के लिहाज से देखें, तो शनि ग्रह के मानसिक असर को इन दो किरदारों से समझ सकते हैं. एक तो कैकई, जिन्होंने राम के लिए वनवास मांगा और दूसरा राक्षसराज रावण. रावण से शनि इस वजह से कुपित थे, क्योंकि उसने कुबेर की लंका अनैतिक तरीके से हथियाई थी और फिर सीता का हरण करके तो उसने अति ही कर दी. 

इसके बाद से ही शनि रावण के मस्तिष्क पर सवार थे. इस वजह से रावण की मति ऐसी मारी गई, कि भाई और पत्नी जैसे करीबियों के समझाने पर भी भगवान राम से युद्ध में पीछे नहीं हटा. 

रावण की तरह कैकई की भी मति शनिदोष की वजह से मारी गई थी, जो उन्होंने अपने प्रिय पुत्र राम का वनवास मांगा और जीवन भर पति और पुत्र के प्रेम के लिए तड़पती रहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि कैकई ने मंथरा जैसी परिवार द्रोही की बात मानी. इसकी सजा उन्हें ताउम्र भुगतनी पड़ी. 

2025 में शनिदेव का कोप धरती पर कैसा मचाएगा हड़कंप?

ये सवाल तमाम ज्योतिषशास्त्रियों को चिंता में डाले हुए है, क्योंकि शनि अपने पिता और दुश्मनी भाव वाले सूर्यदेव के साथ लगातार एक ही राशि में गोचर कर रहा है. पहले कुंभ राशि में गोचर और अब 29 मार्च को मीन राशि में सूर्य के साथ शनि का प्रवेश. इस घातक योग को आप कुछ ऐसे समझिए.

29 मार्च को है शनि का दिन और घातक सूर्यग्रहण

सूर्य और शनि के मीन राशि में प्रवेश के साथ ही धरती पर ऐसा सूर्यग्रहण दिखेगा, जो 100 साल में पहले कभी नहीं हुआ था. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक साल 2025 पर मंगल, यानी आग का स्वामी ग्रह पहले से हावी है, उसके साथ शनि और मंगल का ये घातक गोचर. 

ज्योतिषशास्त्र में सूर्य और शनि पिता पुत्र हैं, लेकिन इनके बीच संबंध शत्रुता का माना गया है. इसलिए दोनों के एक राशि में होने की वजह से ‘ताप तत्व’ बढ़ेगा. इसकी मिसाल आप कैलिफोर्निया की आग से लेकर ज्वालामुखी और हाल ही में बलुचिस्तान में हिंसा के रूप में देख चुके हैं.

धरती पर शनि का ‘अमंगल योग’

यानी एक साथ भौतिक और मानसिक दोनों तौर पर शनिदेव का कोप साल की शुरुआत से ही बना हुआ है. अब सवाल ये है, कि आगे क्या होगा. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, मार्च में ही दो दो ग्रहण भयंकर गर्मी के संकेत देते हैं. वैज्ञानिक पहले ही 2025 को सबसे गर्म साल होने की बात कह चुके हैं. धरती पर ताप तत्व बढ़ने से बारिश, बाढ़ और तूफानों का सिलसिला बढ़ सकता है. इसके अलावा भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएं भी इस साल ज्यादा होंगी.

ज्योतिषाचार्यों का आकलन सुनने में हैरान तो जरूर करता है, क्योंकि ऐसा कोई साल नहीं जब धरती पर आग, तूफान, ज्वालामुखी और भूकंप की घटनाएं नहीं होती. हर साल कोई न कोई प्राकृतिक आपदा इंसानी बस्तियों के लिए विनाशकारी साबित होगीं. तो फिर 2025 को लेकर ये कैसा आकलन, कि इस बार एक साथ कई आपदाएं आफत बनकर टूटेंगी...?

आपदाओं का ग्रहों की चाल से कनेक्शन

तो क्या धरती पर आने वाली आपदाओं का सीधा कनेक्शन ग्रहों की चाल से है? तो फिर इसकी गणना कैसे होती है? और क्या इसका सटीक अनुमान ज्योतिष में लगाया जा सकता है.

ज्योतिष हमारे वैदिक काल से ही जुड़ा एक शास्त्र है. हमारे चारों वेदों, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में ज्योतिष विद्या की जानकारी मिलती है. इसका अस्तित्व जब अलग हुआ, तो इसे वेदांग ज्योतिष कहा जाने लगा. इस विधा के सबसे मशहूर ज्योतिषी आर्यभट्ट को माना जाता है, जो एक मशहूर गणितज्ञ भी थे. आर्यभट्ट ने ही गणित में शून्य का कॉन्सेप्ट दिया था. खैर, इसी गणना में एक गति और दशा शनि की मिलती है, जिसके मुताबिक वो दंडाधिकारी हैं, वैदिक ग्रंथों के मुताबिक शनि सत्य, न्याय और ईमानदारी की राह पर चलने वाले लोगों से प्रसन्न रहते हैं. तो फिर शनि के क्रोध का रहस्य क्या है. 

क्यों कुपित होते हैं शनिदेव?

खगोलीय तौर पर अगर देखें, तो शनि ग्रह एक सूखा ग्रह है. मुख्य तौर पर हाइड्रोजन से बना. यहां कुछ भी तरल या द्रव्य नहीं. इसी तरह ज्योतिषी मान्यता में शनि को सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है. क्रूर इसलिए नहीं, कि ये आपके अच्छे कर्मों की बदौलत भी बुरी सजा देता है बल्कि आध्यात्मिक तौर पर शनिदेव सत्यप्रिय हैं. आपकी कुंडली में शनि की स्थिति और दृष्टि चाहे जैसी भी हो, इसे शनिदेव के ध्यान और अच्छे कर्मों से बदला जा सकता है. 

ज्योतिष में शनि के क्रोधित होने की मुख्यतौर पर तीन वजहें बताई गई हैं. ये हैं असत्य, अन्याय और अत्याचार. पहला असत्य, दूसरा अन्याय और तीसरा अत्याचार. जो भी व्यक्ति अपने फायदे के लिए असत्य यानी झूठ का इस्तेमाल करता है, जो अपने से कम समृद्ध लोगों साथ अन्याय करता, पशु-पक्षियों और बेआवाज जीवों पर अत्याचार करता है, शनिदेव की वक्री दृष्टि उस व्यक्ति पर जरूर पड़ती है.

शनि और यमराज आपस में हैं भाई

इस ज्योतिषीय मान्यता के हिसाब से शनि आपके कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं. यूं समझिए किसी अदालत का दंडाधिकारी. इस श्रेणी में यमराज की भी अवधारणा है. यमराज शनि के भाई माने जाते हैं. ये दोनों सूर्यदेव और माता छाया के पुत्र हैं. लेकिन यमराज जहां कर्मों के आधार पर जीवन और मौत का फैसला करते हैं, वहीं शनि जीते जी आपके कर्मफल के हिसाब से दंड और कष्ट तय करते हैं. 

जहां तक ग्रहीय स्थिति है, उसके हिसाब से शनि की अपनी गति है हर राशि में विचरण करने की. इसी इसी हिसाब से शनि की दशा, महादशा और वक्री दृष्टि तय होती है. अगर सौरमंडल में शनि का परिक्रम पथ देखें, तो अपने आप में वक्री यानी टेढ़ी है. यही गणित शनि की महादशा के ज्योतिषीय का भी है. 

सूर्य का चक्कर और शनि की महादशा का गणित

सूर्य की परिक्रमा में शनि को धरती के 29.5 साल लगते हैं. धरती पर शनि  की महादशा 29 साल की होती है. शनि का ढैया, शनि की साढ़े साती मिलाकर 10 साल और शनि की महादशा का समय 19 साल होता है. जैसा कि विज्ञान भी कहता है, सौर मंडल के सभी ग्रहों का असर इनके दूर या नजदीक जाने से धरती पर पड़ता है. जैसे चंद्रमा. समुद्र में ज्वार भाटा का कारक चंद्रमा का आकर्षण होता है. इसी तरह शनि का भी प्रभाव होता है. 29.5 साल के चक्र में जिन राशियों से गुजरता है शनि, उस पर उसका अपना प्रभाव होता है. 

हालांकि ज्योतिष कहता है, शनि या किसी भी ग्रह का प्रभाव हो, उसके लिए पूजा प्रार्थना के साथ आपके कर्मों का संपूर्ण मानवीय हित में होना जरूरी है. अगर ऐसा है, तो धरती और आपकी जिंदगी में सब कुशल मंगल.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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