Right Direction for Home Temple: हमारे सनातन धर्म में ईश्वर की भक्ति और आध्यात्म का बहुत महत्व माना जाता है. यही वजह है कि हर घर में मंदिर और आंगन में तुलसी का पौधा आपको अवश्य मिलेगा. सुबह-शाम जब घर के मंदिर में पूजा होती है तो उससे निकली सकारात्मक ऊर्जा पूरे घर में महसूस होती है. देवी-देवताओं की पूजा के लिए काफी लोग अपने घर में पत्थर या लकड़ी का मंदिर बनवाते हैं या खरीदकर लाते हैं. लेकिन उस मंदिर को घर में लाना ही काफी नहीं है बल्कि उसे सही दिशा में स्थापित करना भी बहुत जरूरी होता है वरना उसमें पूजा का समुचित फल नहीं मिल पाता है. आज हम घर के मंदिर को स्थापित करने की सही दिशा और उससे जुड़ी तमाम जानकारियां आपको देने जा रहे हैं. जिसे जानकर आप भी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पा सकते हैं. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
सनातन धर्म के विद्वानों के मुताबिक, घर में लकड़ी का मंदिर स्थापित करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसके लिए कुछ नियम हैं. जिसका आपको पालन करना चाहिए. सबसे पहली बात तो ये है कि जिस मंदिर को आप खरीद रहे हैं, उसकी लकड़ी पर अवश्य ध्यान दें. इसके लिए सांगवान या शीशम की लकड़ी को सबसे बेहतर माना जाता है. असल में यह लकड़ी बहुत मजबूत होती है पानी में जल्दी खराब नहीं होती है. यह भी ध्यान रखें कि इस लकड़ी में दीमक न लगा हो. मंदिर खरीदने के बाद समय-समय पर उसकी वार्निश करवाते रहें, जिससे उस पर दीमक न लगे.
किस दिन करें मंदिर की स्थापना?
घर में मंदिर की स्थापना के दिनों की बात करें तो सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन अति शुभ माने जाते हैं. इन दिनों में देवताओं की कृपा ज्यादा बरसती है. इसके अलावा दीपावली पर भी घर में मंदिर की स्थापना शुभ मानी जाती है. इस मंदिर को सीधे जमीन पर न रखें बल्कि उसके नीचे पटरा या ईंटे लगाकर ऊंचा स्थान कर दें. आप उसे फूल मालाओं और शुभ-लाभ के स्टीकर से सजा सकते हैं. उसमें मंगल कलश और गंगाजल रखना शुभ माना जाता है.
मंदिर में किस तरह रखें मूर्तियां?
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, घर में मंदिर स्थापित करने के बाद उसमें सबसे पहले पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. इसके बाद उस पर देवी-देवताओं की मूर्तियां रखें. ध्यान दें कि किसी भी देवी-देवता की 2 से ज्यादा मूर्तियां न हों. कोशिश करें कि सभी मूर्तियों का साइज एक बराबर हो. मंदिर स्थापित करने के बाद उसकी नियमित साफ-सफाई भी होनी चाहिए. भोजन बनाने के बाद सबसे पहले देवी-देवताओं को उसका भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से भगवान तृप्त रहते हैं और परिवार पर अपनी कृपा बरसाते हैं.
किस दिशा में हो मंदिर का मुख?
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर में मंदिर स्थापित करते समय उसकी दिशा पर खास ध्यान दें. इसके लिए पूर्व दिशा को सबसे बेहतर माना जाता है. यानी मंदिर इस तरह रखा हो कि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा में और पीठ पश्चिम दिशा में होनी चाहिए. अगर किसी वजह से पूर्व दिशा में मंदिर रखना संभव न हो तो उत्तर दिशा में भी मंदिर रख सकते हैं. लेकिन गलती से भी दक्षिण दिशा में मंदिर स्थापित नहीं करना चाहिए. यह यमराज की दिशा मानी जाती है, जहां मंदिर रखने से घर में अशुभ घटनाएं शुरू हो जाती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)