Vastu Tips on Swastik Symbol Direction At Home: सनातन धर्म को मानने वाले सभी परिवारों में स्वास्तिक चिह्न का बहुत महत्व माना जाता है. इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है. यही कार्य है कि चाहे कोई नई चीज की खरीद हो या कोई पावन कार्य, उस पर सबसे पहले स्वास्तिक चिह्न लगाया जाता है. इस चिह्न को घरों के मुख्य द्वार और मंदिरों पर भी लगाया जाता है. जिसे मां लक्ष्मी के घर में आगमन का प्रवेश द्वार माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वास्तिक चिह्न का लगाना तभी सार्थक होता है, जब वह सही दिशा में लगा हो. गलत दिशा में लगाने से स्वास्तिक के लाभ खत्म हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि स्वास्तिक चिह्न कौन सी दिशा में लगाया जाना चाहिए.
किस चीज से बनाया जाए स्वास्तिक?
सबसे पहले आपको यह बताते हैं कि स्वास्तिक चिह्न किस चीज से बनाया जाना चाहिए. वास्तु शास्त्र के जानकारों के मुताबिक, स्वास्तिक का चिह्न हमेशा हल्दी या सिंदूर से ही बनाया जाना चाहिए. ऐसा करने से परिवार में सुख-शांति का वास रहता है और घर के सारे वास्तु दोष भी दूर हो जाते हैं.
कितनी होनी चाहिए स्वास्तिक की लंबाई?
वास्तु शास्त्र के जानकारों के अनुसार, यदि आप घर के मंदिर या मेन गेट पर स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहते हैं तो उसकी लंबाई-चौड़ाई का जरूर ध्यान देना चाहिए. उसकी दोनों ओर लंबाई-चौड़ाई कम से कम 2-2 उंगली के बराबर जरूर होनी चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हासिल होती है और घर में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह बढ़ता है.
कौन सी दिशा में स्वास्तिक बनाना शुभ?
सनातन धर्म के विद्वानों के मुताबिक, स्वास्तिक चिह्न बनाने के लिए उत्तर-पूर्वी दिशा को श्रेष्ठ माना जाता है. यह दिशा देवी-देवताओं की मानी जाती है. कहते हैं कि इस दिशा में स्वास्तिक बनाने से मां लक्ष्मी और कुबेर, दोनों का आशीर्वाद मिलता है. जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन सुदृढ होती चली जाती है और समाज में सम्मान बढ़ता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)