Vastu Rules for Home Temple: जब हम नए घर के पूजास्थल में देवताओं के विग्रह स्थापित करते हैं तो पूरे परिवार के लिए यह बहुत अहम और भावुक पल होता है. यह हमें इस बात का अहसास कराता है कि अब हमें आशीर्वाद देने के लिए भगवान भी हमारे घर आ गए हैं. ऐसे में पूजा घर डिजाइन करते समय इस बात पर जरूर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है कि मंदिर में देवताओं का मुख सही दिशा में हो. आज हम वास्तु शास्त्र के हिसाब से पूजा घर में मूर्ति स्थापित करते समय ध्यान देने वाली बातें बताते हैं.
घर के मंदिर की मूर्तियां कैसी हों?
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर के मंदिर में हमेशा भगवान की ठोस मूर्ति ही रखनी चाहिए. वे खोखली कतई न हों. उन मूर्तियों को कभी भी फर्श पर नहीं रखना चाहिए. भगवान की मूर्तियों के मुखमंडल को माला और फूलों से ढकना नहीं चाहिए. उनका चमकता चेहरा बाहर दिखना ही चाहिए. घर के मंदिर में बड़ी मूर्तियों के बजाय सामान्य आकार की प्रतिमाएं ही रखनी चाहिए.
पूजा स्थल में भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
वास्तु नियमों के अनुसार, पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. इसलिए देवताओं के चेहरे पश्चिम की ओर हो सकते हैं. सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु, महेश को पूरब दिशा में पश्चिम की ओर मुख करके रखना चाहिए. सूर्य देव को भी इसी दिशा में रखा जाना चाहिए.
भगवान कार्तिकेय और दुर्गा की मूर्तियों को पूरब दिशा की ओर मुख करके रख सकते हैं. जिन देवताओं की मूर्तियों को उत्तर दिशा में, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए, वे हैं गणेश और कुबेर.
भगवान गणेश की प्रतिमा किस दिशा में रखें?
भगवान गणेश, दुर्गा मां, बजरंग बली और कुबेर देव की प्रतिमाओं को हमेशा दक्षिण दिशा में रखा जाना चाहिए. भगवान गणेश को मां लक्ष्मी की बायीं ओर और देवी सरस्वती को देवी लक्ष्मी के दाहिने तरफ रखा जाना चाहिए. वास्तु के अनुसार, अगर आप पूजास्थल में शिवलिंग रखा चाहते हैं तो केवल छोटे आकार का ही होना चाहिए और उसे पूजाघर के उत्तरी भाग में रखा जाना चाहिए.
क्या मूर्तियों को सीधे दीवारों के सामने रख सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के नियमों के मुताबिक, पूजाघर में रखी सभी मूर्तियों के बीच कम से कम डेढ़ इंच की दूरी रखें. इससे पूजास्थल में सकारात्मक ऊर्जा सुचारू प्रवाहमान रहती है, जिसका प्रभाव पूरे घर में देखने को मिलता है.
क्या भगवान शिव का मुख दक्षिण की ओर रख सकते हैं?
हां. वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव के दक्षिणामूर्ति रूप को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जा सकता है. आपके घर के पूजास्थल की छत गोपुर की तरह होती है. पिरामिड शेप सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए जाना जाता है. अगर आपके घऱ में पर्याप्त जगह नहीं है तो आप किसी दीवार पर माउंट करके पूजा रूम बना सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)