Why Khichdi Made On Makar Sankranti: आज मकर संक्रांति है. सूर्य देव एक महीने बाद राशि परिवर्तन कर आज धनु से मकर राशि में प्रवेश कर गए हैं. इसके साथ ही वे आज से अपनी दिशा बदलकर दक्षिणायन से उत्तरायण भी हो जाएंगे. आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान और जरूरतमंदों को दान का बहुत महत्व होता है. आज के दिन खिचड़ी खाने और उसे दान करने का भी विधान है. लेकिन इसके पीछे वजह क्या है. क्या यह महज पौराणिक परंपरा या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार भी छिपा है. आइए, आज आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं.
मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनाई जाती है?
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, खिचड़ी बनाने के लिए दाल, चावल, पानी, नमक, हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. यानी कि उसमें हरा, लाल, पीला, सफेद, नीला, काला समेत सभी रंग शामिल हो जाते हैं. ये सभी रंग अलग-अलग नवग्रहों के प्रभाव को दर्शाते हैं. खिचड़ी में पड़ने वाली हल्दी का संबंध जहां गुरू से माना जाता है. वहीं बृहस्पति से है. वहीं काली दाल का संबंध शनि, राहु और केतु से बताया गया है.
इसी प्रकार उसमें हरी दाल का संबंध बुध से जोड़ा गया है. जबकि चावल को शुक्र और चंद्रमा का प्रतीक बताया गया है. खिचड़ी के पकने पर उसमें से जो गर्माहट निकलती है, उसका संबंध सूर्य देव और मंगल से माना गया है. इस खिचड़ी के सेवन से सभी नवग्रहों का आशीर्वाद मिल जाता है.
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने के फायदे
वैज्ञानिक आधार पर देखें तो मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद रहता है. असल में जनवरी में आम लोग भीषण ठंड से कांप रहे होते हैं. ऐसे में गरमागरम खिचड़ी खाने से ठंड से राहत मिलती है. यह पचने में आसान भी होती है. इसलिए पेट को भी राहत मिलती है और पाचन से जुड़ी दिक्कतें दूर होती हैं. इससे शरीर को नई ऊर्जा मिलती है, जिससे मनुष्य हष्ट पुष्ट रहता है. बाकी चीजें खाने पर ये सब लाभ एक साथ नहीं मिल पाते. यही वजह है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन और उसे जरूरतमंदों का दान महान पुण्य बताया गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)