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नवरात्रि में इस दिशा में भूलकर भी ना स्थापित करें माता की मूर्ति और कलश, मिलेंगे अशुभ परिणाम

Chaitra Navratri 2025 Ghatasthapana: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस दिशा में माता की मूर्ति और कलश स्थापित नहीं करना चाहिए और घटस्थापना से जुड़े खास नियम क्या हैं.

नवरात्रि में इस दिशा में भूलकर भी ना स्थापित करें माता की मूर्ति और कलश, मिलेंगे अशुभ परिणाम
Dipesh Thakur|Updated: Mar 30, 2025, 07:21 AM IST
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Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च, रविवार से हो चुका है और 7 अप्रैल 2025 को इसका समापन होगा. इस पावन अवसर पर देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. पहले दिन कलश स्थापना कर माता दुर्गा की पूजा आरंभ होती है. नवरात्रि के दौरान कई स्थानों पर माता के नाम का मेला आयोजित किया जाता है और कुछ राज्यों में इसे गुड़ी पड़वा के रूप में भी मनाया जाता है. अष्टमी और नवमी के दिन छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर कन्या भोज कराया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है. इसके अलावा, नवरात्रि में वास्तु शास्त्र का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण माना जाता है. आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार माता की मूर्ति और मंदिर की स्थापना से जुड़े महत्वपूर्ण नियम.

मूर्ति स्थापना की दिशा

नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना के रोज माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में करनी चाहिए, क्योंकि यह देवताओं का स्थान माना जाता है. जबकि, अखंड ज्योति को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में रखना चाहिए. ईशान कोण में मूर्ति स्थापना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में माता का वास बना रहता है.

मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं

नवरात्रि के दौरान मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिह्न लगाना शुभ माना जाता है. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. साथ ही, मुख्य द्वार को आम के पत्तों से सजाएं. इससे घर सुंदर दिखता है और उसमें शुभता बनी रहती है.

माता की मूर्ति के लिए चंदन की चौकी

माता की मूर्ति को हमेशा लकड़ी के पाटे पर रखें. यदि संभव हो तो चंदन की चौकी का उपयोग करें, क्योंकि चंदन को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है. इससे वास्तु दोष भी समाप्त होते हैं.

काले रंग से बचें

नवरात्रि में काले रंग का प्रयोग वर्जित माना गया है. मान्यता है कि काले रंग से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और मन अशांत रहता है.. 

सात्विक रंगों का उपयोग करें

चैत्र नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से पीले और लाल रंग का उपयोग करें, क्योंकि ये शुभता और सकारात्मकता लाते हैं. पीला रंग जीवन में उत्साह, चमक और प्रसन्नता लाता है, जबकि लाल रंग जीवन में उमंग और शक्ति का संचार करता है. माता की सजावट में भी इन्हीं रंगों का उपयोग करें.

कपूर की आरती करें

शाम को कपूर जलाकर देवी मां की आरती करनी चाहिए. ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और देवी लक्ष्मी का आगमन होता है.

नींबू और खट्टी चीजों से परहेज करें

नवरात्रि के दौरान नींबू और अन्य खट्टी चीजों के सेवन से बचें. मान्यता है कि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है और मन अशांत रहता है.

गोबर का उपयोग करें

नवरात्रि में घर के आंगन को गोबर से लीपना शुभ माना जाता है. अगर, यह संभव न हो, तो घर के आंगन में सात गोबर के कंडे टांग दें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और देवी लक्ष्मी का वास बना रहता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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