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शुरू होने वाला है चातुर्मास, जानें इस पवित्र महीने में किन चीजों का कर देना चाहिए त्याग

Chaturmas 2025 Rituals: धार्मिक परंपरा के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं. इस दिन से भगवान विष्णु अगले चार महीने के लिए योगनिद्रा में पाताल लोक चले जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस पवित्र महीने में किन चीजों का त्याग कर देना चाहिए.   

शुरू होने वाला है चातुर्मास, जानें इस पवित्र महीने में किन चीजों का कर देना चाहिए त्याग
Dipesh Thakur|Updated: Jun 21, 2025, 08:16 AM IST
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Chaturmas 2025 Rituals: चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक चलता है. मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद देवउठनी एकादशी पर जागते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जो भक्ति, व्रत और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस दौरान शादी-विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते. धार्मिक मान्यता है कि स्त्री या पुरुष, जो भी इन महीनों में नियमों का पालन कर भगवान की भक्ति करता है, उसे विशेष पुण्य और शुभ फल की प्राप्ति होती है. 

चातुर्मास में किन चीजों का करें त्याग

काले रंग के वस्त्र न पहनें- इन चार महीनों में काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए. सफेद, पीले या हल्के रंगों का प्रयोग शुभ माना जाता है. 

 उड़द और चने का त्याग करें- चातुर्मास में उड़द और चने का सेवन वर्जित माना गया है. मान्यता है कि इससे शरीर रोगों से मुक्त रहता है.

गुड़ का सेवन न करें- गुड़ का त्याग करने से जीवन में मधुरता और सकारात्मकता आती है.

तेल का त्याग करें- तेल छोड़ने से दीर्घायु और उत्तम संतान प्राप्त होती है.

दही और दूध से परहेज करें- इस दौरान दही और दूध का त्याग करने वालों को गोलोक (भगवान विष्णु का लोक) की प्राप्ति होती है.

पलाश के पत्तों में भोजन करें- जो व्यक्ति चातुर्मास में पलाश के पत्तों में भोजन करता है, उसे रूप, तेज और सौंदर्य की प्राप्ति होती है.

भोजन में सादगी रखें, फलाहार करें- पुराणों में उल्लेख है कि इस अवधि में केवल एक बार भोजन करने वाला व्यक्ति रोगों से मुक्त रहता है और फलाहार करने वाला पापों से मुक्त होता है.

जमीन पर सोना- भगवान विष्णु की योगनिद्रा के समय, श्रद्धालु चार महीने तक जमीन पर सोते हैं. इससे तप और त्याग का पुण्य प्राप्त होता है.

नए कार्य वर्जित- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास की अवधि में मंदिर स्थापना, गृह प्रवेश, नए कार्यों की शुरुआत आदि वर्जित मानी गई है. ऐसे में इस दौरान इन शुभ कार्यों को करने से बचें.

कब से कब तक है चातुर्मास?

चातुर्मास हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होता है, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है. साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को पड़ेगी और इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होगी. इसका समापन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी, यानी देवउठनी एकादशी पर होता है, जो इस बार 1 नवंबर 2025 को है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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