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Sabarimala Temple: सबरीमाला में 25 दिसंबर को होगी मंडल पूजा, संपन्न हो जाएगा 41 दिन लंबा कठोर व्रत; श्रद्धालुओं ने निकाला लंबा जुलूस

Sabarimala Temple Worship: केरल के सबरीमाला मंदिर में बुधवार 25 दिसंबर को सबरीमाला मंदिर में मंडल पूजा होगी. इससे पहले मंगलवार को राज्य में बड़ा धार्मिक जुलूस निकाला गया. इस मंडल पूजा के साथ ही 41 दिनों लंबा कठोर व्रत भी खत्म हो जाएगा. 

Sabarimala Temple: सबरीमाला में 25 दिसंबर को होगी मंडल पूजा, संपन्न हो जाएगा 41 दिन लंबा कठोर व्रत; श्रद्धालुओं ने निकाला लंबा जुलूस
Devinder Kumar|Updated: Dec 24, 2024, 12:08 PM IST
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Kerala Sabarimala Mandir News: सबरीमाला में मंडल पूजा की तैयारी जोरों पर है. त्रावणकोर देवस्थानम के कर्मचारियों ने मंदिर में कर्पूरा अजी उत्सव मनाया. 26 दिसंबर को मंडल पूजा होगी, जिसे लेकर त्रावणकोर देवस्थानम के कर्मचारियों ने कर्पूरा अजी जुलूस निकाला. यह जुलूस भक्ति और उत्साह के साथ ढोल की आवाज में सबरीमाला सन्निधानम से शुरू हुआ. शाम 6.40 बजे, मंदिर के तंत्री कंदार राजीव और मेलसंथी अरुणकुमार नंबूथिरी ने ध्वज वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर कर्पूरा अजी का जुलूस शुरू किया. यह जुलूस मलिकापुरम मंदिर से होते हुए फुटपाथ तक पहुंचा और 18वीं सीढ़ी के पहले खत्म हुआ.

बाघ पर सवार हुए अयप्पन

जुलूस में अय्यप्पन के बाघ पर सवार होने के बाद, शिव, पार्वती, हनुमान और गणेश जैसे देवताओं के नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. रंगीन नृत्य और लाइट शो ने भक्तों का दिल खुश कर दिया. त्रावणकोर देवस्थानम के अध्यक्ष पी.एस. और सबरीमाला पुलिस के अधिकारी प्रशांत, सबरीमाला प्रशासनिक अधिकारी और अन्य लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

25 दिसंबर को होगी मंडल पूजा

इसके बाद केरल पुलिस कर्पूरा अजी जुलूस के दूसरे दिन में हिस्सा लेगी. मंडल पूजा से पहले कर्पूरा अजी को सन्निधानम में धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंडल पूजा के लिए स्वर्ण वस्त्र 25 दिसंबर की शाम को सबरीमाला लाया जाएगा, जिसे अय्यप्पन पर चढ़ाकर एक विशेष दीपरथन आयोजित किया जाएगा.

41 दिन के व्रत के बाद समापन

बता दें कि केरल के प्रसिद्ध मंदिर सबरीमाला में हर साल मंडला पूजा की जाती है. इस साल भी मंडला पूजा व्रत की शुरुआत 16 नवंबर 2024 से शुरू हो चुकी थी. कहीं पर इसे मंडल पूजा, तो कहीं मंडला पूजा के नाम से जाना जाता है. मंडल पूजा 41 दिन के व्रत का समापन है. यह व्रत सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश के साथ शुरू होता है. इसके बाद मंडल पूजा सूर्य के धनु राशि में होने पर मनाई जाती है. यह एक कठिन तपस्या होती है. भक्त पूरे विधि-विधान से व्रत का पालन करते हैं.

(एजेंसी आईएएनएस)

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