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Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी पर करें शालिग्राम जी की आराधना, जानें पूजा विधि और जरूरी सामग्री

Devshayani Ekadashi 2025 Date: देवशयनी एकादशी पर श्री हरि की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु और  शालिग्राम जी की पूजा करते हैं उनके घर धन की कमी कभी नहीं होती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

Devshayani Ekadashi 2025
Devshayani Ekadashi 2025
Padma Shree Shubham|Updated: Jun 23, 2025, 05:45 PM IST
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Shaligram Puja On Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी विष्णु जी के आराधना का एक अति शुभ और पवित्र दिवस होता है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि पर देवशयनी एकादशी व्रत रखा जाता है. इस साल देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को मनाई जाएगी और भक्त व्रत का संकल्प करेंगे. मान्यताएं हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मोक्ष की प्राप्ति भी होती है

सुख समृद्धि का आशीर्वाद
जो भी भक्त देवशयनी एकादशी पर भगवान नारायण की आराधना करता है उसके जीवन के संकट खत्म होते हैं. यह तिथि श्री हरि की पूजा के लिए एक अति शुभ अवसर होता है. भगवान इस दिन अपने भक्त को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. वहीं ध्यान दें तो  देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम की पूजा करने का विशेष विधान है. इससे घर की दरिद्रता दूर होती है और परिवार के लोग सुख में जीवन बिताते हैं. आइए जानें शालिग्राम की पूजा विधि ताकि देवशयनी एकादशी पर आप भी उसी विधि से पूजा करें. 

ऐसे करें शालिग्राम जी की पूजा
देवशयनी एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर साफ वस्त्र पहनें.
भगवान विष्णु के समक्ष या उनका ध्यानकर व्रत और पूजा का संकल्प लें. 
एक वेदी स्थापित कर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम जी को स्थापित करें
शालिग्राम जी का अभिषेक पंचामृत से करें. 
इसके बाद शुद्ध जल और गंगाजल से भी शालिग्राम जी का अभिषेक करें. 
शालिग्राम जी को सच्चे मन से पीले वस्त्र अर्पित करें.
शालिग्राम जी का विधि पूर्वक शृंगार करें. 
फूल, फल, धूप, कपूर, नैवेद्य आदि अर्पित करें. 
पंचामृत और पंजीरी का भोग अर्पित करें. 
वैदिक मंत्रों के जाप और आरती कर पूजा को संपन्न करें.
अंत में पूजा में हुई भूलचूक के लिए भगवान से क्षमा मांगे. 

पूजन सामग्री
वेदी, शालिग्राम जी, गंगाजल
पंचामृत, शहद , पीले फूल और माला
तुलसी के पत्ते, ऋतु फल
धूप, दीप, कपूर, नैवेद्य
आसन, शुद्ध जल आदि.

देवशयनी एकादशी पर नहीं होते शुभ कार्य
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी तिथि से भगवान विष्णु चार माह के विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं जिससे इस चतुर्मास की अवधि में किसी भी तरह के शुभकार्य नहीं किए जाते हैं और न तो विवाह या गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जाते हैं. यही कारण है कि इस एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) के रूप में जाना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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