Durga Chalisa Path: हिंदू धर्म में देवी दुर्गा को सर्वशक्तिशाली माना गया है, इसलिए उन्हें आदि शक्ति का दर्जा प्राप्त है. मां दुर्गा के 9 रूप हैं और साल में 4 बार पड़ने वाली नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. 30 मार्च 2025 से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं. नवरात्रि में पूरे भक्ति-भाव और विधि-विधान से दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से देवी मां का आशीर्वाद मिलता है.
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दुर्गा चालीसा पाठ करने के लाभ
दुर्गा चालीसा का पाठ करने के कई लाभ हैं. मां दुर्गा की कृपा से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. सारे दुखों का नाश होता है. कर्ज-गरीबी से निजात मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. शत्रुओं का नाश होता है. यदि रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करें तो व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है. उसकी सारी चिंताएं, निराशा दूर हो जाती हैं. मनोबल बढ़ता है. हर काम में विजय प्राप्त होती है. बुरी शक्तियों से बचाव होता है. मान-सम्मान बढ़ता है.
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दुर्गा चालीसा का पाठ करने की विधि
दुर्गा चालीसा का पाठ करने का वैसे तो कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन इसे सुबह या शाम को करना शुभ रहता है. दोपहर या रात में पाठ करने से बचें. दुर्गा चालीस पाठ करने से पहले स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और माता दुर्गा को फूल, रोली, दीप, अक्षत, दूध और प्रसाद चढ़ाएं. दीपक जलाएं, फिर दुर्गा चालीसा का पूरे मन से पाठ करें.
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दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)