Gudi Padwa Wishes: गुड़ी पड़वा पर्व हिंदू नववर्ष शुरू होने की खुशी में मनाया जाता है. महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर्व की धूम देखने लायक रहती है. दक्षिण भारत के कई राज्यों में भी गुड़ी पड़वा धूमधाम से मनाते हैं. गुड़ी पड़वा से पहले लोग अपने घर की साफ-सफाई करते हैं, सजाते हैं. मुख्य द्वार पर वंदनवार लगाते हैं, रंगोली बनाते हैं. पारंपरिक कपड़े और गहने पहनते हैं. महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. जानिए इस साल गुड़ी पड़वा कब है और पूजा मुहूर्त क्या है?
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गुड़ी पड़वा 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर प्रारंभ होकर और अगले दिन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के आधार पर गुड़ी पड़वा का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा. इसी दिन से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 प्रारंभ होगा. इसे नवसंवत्सर भी कहते हैं. इस साल नवसंवत्सर के राजा और मंत्री सूर्य हैं.
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गुड़ी पड़वा 2025 पूजा शुभ मुहूर्त
30 मार्च को चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है. नवरात्रि पर कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में करना शुभ होता है. उसी समय में गुड़ी पड़वा की पूजा करना उत्तम माना जाता है. इस बार गुड़ी पड़वा की पूजा का सुबह का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक है. वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर के 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.
इन शुभ मुहूर्तों में गुड़ी पड़वा की पूजा करने के साथ ही घर की छत या बालकनी में गुड़ी बांधना उत्तम फल देता है. साथ ही इस दिन पूरनपोड़ी, आलू की सब्जी, पकौड़े आदि पकवान बनाए जाते हैं.
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गुड़ी पड़वा 2025 का महत्व
गुड़ी पड़वा को मराठी नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा के दिन एक विशेष ध्वज, जिसे गुड़ी कहा जाता है घर के बाहर फहराया जाता है. इसके लिए एक डंडे पर उल्टा लोटा रखा जाता है और रेशमी कपड़ा या साड़ी झंडे की तरह लगाई जाती है. फूलों की माला चढ़ाई जाती है. यह ध्वज यह विजय और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. ताकि नया साल शुभ, समृद्धि और सफलता लेकर आए. प्राचीन समय में जब योद्धा जीतकर लौटते थे, तो उनके स्वागत में घरों में ऐसे ध्वज फहराए जाते थे.
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