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गुप्‍त नवरात्रि में दस महाविद्या स्तोत्र पढ़कर देवी मां को करें प्रसन्‍न, बड़े से बड़ा शत्रु होगा परास्‍त

Gupt Navratri 2025: आषाढ़ मास की गुप्‍त नवरात्रि 26 जून से प्रारंभ होंगी और 4 जुलाई तक रहेंगी. नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है. इस दौरान 10 महाविद्या स्‍तोत्र का पाठ करना बहुत लाभ देता है. 

गुप्‍त नवरात्रि में दस महाविद्या स्तोत्र पढ़कर देवी मां को करें प्रसन्‍न, बड़े से बड़ा शत्रु होगा परास्‍त
Shraddha Jain|Updated: Jun 08, 2025, 03:01 PM IST
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Ashadha Gupt Navratri 2025: साल में 2 बार गुप्त नवरात्रि पड़ती हैं, एक बार आषाढ़ माह में और एक बार माघ माह में. आषाढ़ मास की नवरात्रि शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, जो नवमी तिथि पर समाप्‍त होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्या प्रकट हुईं थीं. कहते है गुप्त नवरात्रि में पूजा के दौरान दस महाविद्या स्रोत का पाठ करने से भक्तों का हर कष्‍ट, बाधा दूर हो जाती है. उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. बड़े से बड़ा शत्रु भी परास्‍त हो जाता है. अगर आप दस महाविद्याओं को जल्द प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस गुप्त नवरात्रि को दौरान इस खास स्रोत का पाठ जरूर करें. इस साल 26 जून से 4 जुलाई तक गुप्‍त नवरात्रि चलेंगी. 

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दस महाविद्या स्तोत्र 

दुर्ल्लभं मारिणींमार्ग दुर्ल्लभं तारिणींपदम्।

मन्त्रार्थ मंत्रचैतन्यं दुर्ल्लभं शवसाधनम्।।

श्मशानसाधनं योनिसाधनं ब्रह्मसाधनम्।

क्रियासाधनमं भक्तिसाधनं मुक्तिसाधनम्।।

तव प्रसादाद्देवेशि सर्व्वाः सिध्यन्ति सिद्धयः।।

नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनी।

नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनी।।

शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे।

प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम्।।

जगत्क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्।

करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम्।।

हरार्च्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्।

गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकार भूषिताम्।।

हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम्।

सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरगणैर्युताम्।

मंत्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंगशोभिताम्।।

प्रणमामि महामायां दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम्।।

उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम्।

नीलां नीलघनाश्यामां नमामि नीलसुंदरीम्।।

श्यामांगी श्यामघटितांश्यामवर्णविभूषिताम्।

प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्व्वार्थसाधिनीम्।।

विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्।

आद्यमाद्यगुरोराद्यमाद्यनाथप्रपूजिताम्।।

श्रीदुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मा सुरेश्वरीम्।

प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम्।।

त्रिपुरासुंदरी बालमबलागणभूषिताम्।

शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम्।।

सुंदरीं तारिणीं सर्व्वशिवागणविभूषिताम्।

नारायणी विष्णुपूज्यां ब्रह्माविष्णुहरप्रियाम्।।

सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यगुणवर्जिताम्।

सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्च्चितां सर्व्वसिद्धिदाम्।।

दिव्यां सिद्धि प्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम्।

महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम्।।

प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम्।।

रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम्।

भैरवीं भुवनां देवी लोलजीह्वां सुरेश्वरीम्।।

चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम्।

त्रिपुरेशी विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम्।।

अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशीनीम्।

कमलां छिन्नभालांच मातंगीं सुरसंदरीम्।।

षोडशीं विजयां भीमां धूम्रांच बगलामुखीम्।

सर्व्वसिद्धिप्रदां सर्व्वविद्यामंत्रविशोधिनीम्।।

प्रणमामि जगत्तारां सारांच मंत्रसिद्धये।।

इत्येवंच वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम्।

पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनी।।

कुजवारे चतुर्द्दश्याममायां जीववासरे।

शुक्रे निशिगते स्तोत्रं पठित्वा मोक्षमाप्नुयात्।

त्रिपक्षे मंत्रसिद्धिः स्यात्स्तोत्रपाठाद्धि शंकरि।।

चतुर्द्दश्यां निशाभागे शनिभौमदिने तथा।

निशामुखे पठेत्स्तोत्रं मंत्रसिद्धिमवाप्नुयात्।।

केवलं स्तोत्रपाठाद्धि मंत्रसिद्धिरनुत्तमा।

जागर्तिं सततं चण्डी स्तोत्रपाठाद्भुजंगिनी।।

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(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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