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इस बार हनुमान जन्मोत्सव पर रहेगा भद्रा का साया, नोट कर लें पूजन सामग्री, मुहूर्त और मंत्र

Hanuman Janmotsav 2025 Bhadra Kaal: हनुमान जन्मोत्सव पर भद्रा का साया रहने वाला है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल हनुमान जन्मोत्सव की सही तारीख, शुभ महूर्त भद्रा काल, पूजन सामग्री और मंत्र.

इस बार हनुमान जन्मोत्सव पर रहेगा भद्रा का साया, नोट कर लें पूजन सामग्री, मुहूर्त और मंत्र
Dipesh Thakur|Updated: Apr 09, 2025, 11:48 AM IST
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Hanuman Janmotsav 2025 Exact Date: हनुमान जयंती हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन भक्त हनुमान जी के जन्मोत्सव को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी रुद्र के अवतार माने जाते हैं और कलियुग में चिरंजीवी रूप में विद्यमान हैं. उन्हें संकटमोचन कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के संकट हर लेते हैं. हनुमान जी की महाशक्ति का प्रमाण यह है कि उन्होंने माता सीता की खोज की, लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की और राम नाम के महत्व को समस्त जगत में फैलाया. पंचांग के अनुसार, इस साल हनुमान जन्मोत्सव पर भद्रा का साया भी रहेगा. ऐसे में आइए जानते हैं हनुमान जयंती की तिथि, पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और जरूरी पूजन सामग्री.

हनुमान जयंती 2025 की तिथि

चैत्र पूर्णिमा तिथि आरंभ- 12 अप्रैल 2025 को सुबह 03 बजकर 21 मिनट पर 

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 13 अप्रैल 2025 को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर 

उदया तिथि के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव- शनिवार, 12 अप्रैल 2025 

हनुमान जयंती 2025 के शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:29 बजे से 05:14 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:56 बजे से 12:48 बजे तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 बजे से 03:21 बजे तक

भद्रा का समय 

भद्रा आरंभ- सुबह 05 बजकर 59 मिनट पर 

भद्रा समाप्त- शाम 04 बजकर 35 मिनट पर 

हनुमान जयंती 2025 पूजन सामग्री लिस्ट

हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र, लाल वस्त्र और लंगोट, लाल फूल और माला, अक्षत (चावल), चंदन, धूप, दीपक (मिट्टी/पीतल), गाय का घी, चमेली का तेल, पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची, बीड़ा, सिंदूर, हनुमान जी का ध्वज, जनेऊ, चरण पादुका, हनुमान चालीसा, शंख, घंटी, नैवेद्य और भोग- विशेष रूप से बूंदी के लड्डू.

हनुमान जी पूजा के मंत्र

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं  
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

महाबलाय वीराय चिरंजीविन उद्दते  
हारिणे वज्रदेहाय चोलंघितमहाव्यये॥

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः हं  
हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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