trendingNow12713275
Hindi News >>धर्म
Advertisement

Hanuman Janmotsav 2025: हनुमान जी को कैसे मिला वानर रूप, शिव के ग्यारहवें अवतार का ये है रहस्य

Hanuman Vanar Roop Story: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल हनुमान जन्मोत्सव शनिवार, 12 अप्रैल को मनाया जाएगा. वैसे तो हनुमानजी से जुड़े कई किस्से रहस्यमयी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को वानर रूप कैसे मिला और भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार का क्या रहस्य है. चलिए जानते हैं.  

Hanuman Janmotsav 2025: हनुमान जी को कैसे मिला वानर रूप, शिव के ग्यारहवें अवतार का ये है रहस्य
Dipesh Thakur|Updated: Apr 11, 2025, 10:33 AM IST
Share

Hanuman Janmotsav 2025: हनुमान जयंती आने वाली है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी ने वैशाख पूर्णिमा के दिन मनु्ष्य रूप में अवतार लिया था. कहा जाता है कि हनुमान जी भगवान शिव के 11वें अवतार हैं. हनुमान जी को पवनपुत्र के साथ-साथ वानरराज केसरी का पुत्र भी कहा जाता है. उनका वानर रूप उनकी माता अंजनी के पूर्व जन्म की कथा से जुड़ा है. आइए जानते हैं कि हनुमान जी को वानर का रूप कैसे प्राप्त हुआ और भगवान शिव के 11वें अवतार का रहस्य क्या है.

हनुमान जी को कैसे मिला वानर का रूप

असल में अंजनी, अपने पूर्व जन्म में स्वर्ग की एक अप्सरा थीं, जिनका नाम पुंजिकस्थला था. वे अत्यंत सुंदर और चंचल स्वभाव की थीं. एक बार उन्होंने तप में लीन एक ऋषि को वानर समझकर उनके साथ अनुचित व्यवहार कर दिया. इससे क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें श्राप दे दिया कि वे वानरी का रूप धारण करेंगी.

श्राप मिलते ही पुंजिकस्थला को बहुत पछतावा हुआ और उन्होंने क्षमा याचना की. ऋषि ने दया दिखाते हुए कहा कि तुम्हारा वानर रूप भी तेजस्वी होगा और तुम्हें एक अत्यंत यशस्वी पुत्र की माता बनने का सौभाग्य मिलेगा.

पुंजिकस्थला ने अपनी आपबीती देवराज इंद्र को बताई. उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें किसी से प्रेम होगा, वे वानरी बन जाएंगी, लेकिन तब भी उस व्यक्ति का प्रेम उनसे कम नहीं होगा. इंद्रदेव ने उन्हें धरती पर जाकर रहने की सलाह दी और बताया कि वहीं उन्हें एक राजकुमार से प्रेम होगा, जो उनका पति बनेगा. विवाह के बाद वे भगवान शिव के अवतार को जन्म देंगी और उन्हें श्राप से मुक्ति मिल जाएगी.

इंद्र की सलाह मानकर पुंजिकस्थला ने धरती पर अंजनी के रूप में जन्म लिया. एक दिन वन में टहलते समय उन्होंने एक युवक को देखा, जिससे वे आकर्षित हो गईं. युवक ने जैसे ही उन्हें देखा, अंजनी का चेहरा वानर का हो गया. घबराकर अंजनी ने अपना चेहरा छिपा लिया, लेकिन जब वह युवक उनके पास आया, तो पता चला कि वह स्वयं वानरराज केसरी है, जो इच्छानुसार वानर और मानव रूप धारण कर सकता है. दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हुआ और उनका विवाह हुआ.

विवाह के कई वर्षों बाद भी उन्हें संतान सुख नहीं मिला. तब अंजनी, मातंग ऋषि के पास गईं और अपनी पीड़ा बताई. ऋषि ने उन्हें नारायण पर्वत पर स्थित स्वामी तीर्थ में 12 वर्षों तक तप करने का निर्देश दिया. अंजनी की तपस्या से प्रसन्न होकर वायु देव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उन्हें अत्यंत बलशाली, तेजस्वी और ज्ञानवान पुत्र प्राप्त होगा.

इसके बाद अंजनी ने भगवान शिव की तपस्या की. जब शिव प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा, तो अंजनी ने अपने श्राप की बात बताई और शिव से प्रार्थना की कि वे ही उनके गर्भ से बाल रूप में जन्म लें. शिवजी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और इस प्रकार अंजनी के गर्भ से हनुमान जी ने जन्म लिया. वे भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार माने जाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Read More
{}{}