Hanuman Janmotsav 2025: जब रावण की सेना ने हनुमान जी को बंदी बनाकर उसके दरबार में प्रस्तुत किया, तो रावण ने क्रोध और अहंकार में उनकी पूंछ में आग लगवा दी. उसे लगा कि एक वानर के लिए पूंछ बहुत महत्वपूर्ण होती है और आग लगाकर वह हनुमान जी को अपमानित कर देगा. लेकिन रावण यह भूल गया था कि वह किसी साधारण वानर से नहीं, श्रीराम के अनन्य भक्त से टकरा रहा है. हनुमान जी ने इस अपमान को अपनी शक्ति में बदल लिया और जलती हुई पूंछ से पूरी लंका को भस्म कर डाला. वह लंका, जिस पर रावण को बड़ा गर्व था, देखते ही देखते आग की लपटों में घिर गई. लेकिन, इस प्रलयंकारी लंका दहन के दौरान भी हनुमान जी ने दो स्थानों को आग से बचाया. आइए जानते हैं कि हनुमानजी ने लंका की दो जगहों को क्यों नहीं जलाया.
पहला स्थान
पौराणिक कथा के अनुसार, पहला स्थान था- अशोक वाटिका, जहां माता सीता को बंदी बनाकर रखा गया था. हनुमान जी के लिए मां सीता का स्थान पूजनीय था और स्वाभाविक था कि वे उस पवित्र स्थान को आग से नहीं छू सकते थे. इसलिए अशोक वाटिका, जहां उन्होंने पहली बार माता सीता के दर्शन किए थे, सुरक्षित रही.
दूसरा स्थान
दूसरा स्थान था- विभीषण का महल. जब हनुमान जी लंका में सीता माता की खोज कर रहे थे, तो वे एक-एक घर की छतों से गुजर रहे थे. तभी उनकी नजर एक ऐसे घर पर पड़ी जो बाकियों से बिल्कुल अलग था. वहां कोई राक्षसी प्रवृत्ति नहीं थी, बल्कि भगवान विष्णु के चिन्ह, शंख और चक्र अंकित थे और आंगन में तुलसी का पौधा लहलहा रहा था. हनुमान जी आश्चर्य में पड़ गए कि रावण की नगरी में ऐसा कौन धर्मात्मा है?
वही विभीषण का घर था- रावण का भाई, जो बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था. श्रीराम को भगवान विष्णु का अवतार मानने वाले विभीषण, मन ही मन पहले ही राम की शरण में जाने का निश्चय कर चुके थे.
साधु के वेश में हनुमानजी
हनुमान जी ने जब ये सब देखा, तो साधु का वेश धारण कर विभीषण के घर के बाहर खड़े हो गए. विभीषण उन्हें देखकर चौंके, लेकिन साधु वेशधारी हनुमान जी से खुलकर बोले. उन्होंने अपनी विवशता, धर्म के प्रति श्रद्धा और श्रीराम की शरण में जाने की इच्छा जाहिर की, साथ ही यह भी बताया कि सीता माता को अशोक वाटिका में रखा गया है.
अशोक वाटिका नहीं जलाना चाहते थे हनुमानजी
कई मान्यताओं के अनुसार, जब लंका जल चुकी थी, तब हनुमान जी एक बार फिर अशोक वाटिका लौटे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं वहां भी आग न लग गई हो. जब उन्होंने मां सीता को सुरक्षित पाया, तभी उनका मन पूरी तरह शांत हुआ.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)