trendingNow12712102
Hindi News >>धर्म
Advertisement

जब हनुमानजी को चीरना पड़ा था अपना सीना, बेहद दिलचस्प है रामायण का ये प्रसंग

Hanuman Janmotsav 2025 Hanuman Interesting Story: चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर हनुमान जी ने अपना सीना क्यों चीर लिया था. 

जब हनुमानजी को चीरना पड़ा था अपना सीना, बेहद दिलचस्प है रामायण का ये प्रसंग
Dipesh Thakur|Updated: Apr 10, 2025, 02:13 PM IST
Share

Hanuman Janmotsav 2025: हनुमानजी और भगवान श्रीराम का संबंध केवल भगवान और भक्त का नहीं है. यह उस प्रेम की मिसाल है जिसमें कोई शर्त नहीं, कोई अपेक्षा नहीं और कोई सीमा नहीं होती. ऐसा दिव्य प्रेम दुर्लभ होता है और वही प्रेम हनुमान को राम के लिए मिला था. उसी प्रेम में एक बार हनुमानजी ने अपना सीना चीर दिया था और दिखा दिया कि उनके तन-मन-प्राण में बस राम ही राम बसे हैं. आइए रामायण में आए एक प्रसंग से जानते हैं कि आखिर हनुमान जी को अपना सीना चीरना पड़ा था.

वो अद्भुत प्रसंग जब हनुमानजी ने चीर दिया अपना सीना

एक बार भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के अवसर पर दरबार में उपस्थित सभी को उपहार दिए जा रहे थे. माता सीता ने अपने सबसे प्रिय भक्त हनुमान को रत्नजड़ित एक दिव्य माला भेंट की. हनुमानजी वह माला लेकर बड़े प्रसन्न हुए, पर जैसे ही उन्होंने माला को देखा, वे कुछ सोच में पड़ गए. 

वे माला के एक-एक मोती को निकालते, तोड़ते और ध्यान से देखने लगते. इस तरह सारे मोती उन्होंने एक-एक कर तोड़कर फेंक दिए. ये देखकर दरबार में उपस्थित सभी लोग चौंक गए. लक्ष्मण जी को यह देखकर क्रोध आ गया. उन्होंने इसे माता सीता और श्रीराम का अपमान समझा और सीधा जाकर श्रीराम से शिकायत कर दी.

भगवान राम मुस्कुराए और बोले- "हनुमान के हर कर्म के पीछे कोई गूढ़ भाव होता है, उसका उत्तर वही दे सकता है." हनुमान का उत्तर जिसने सबको भावविभोर कर दिया. लक्ष्मणजी क्रोध में हनुमानजी के पास पहुंचे और पूछा, "तुमने माता सीता के दिए इस बहुमूल्य उपहार का अपमान क्यों किया?"

हनुमानजी ने विनम्रता से उत्तर दिया- "मेरे लिए वो वस्तु व्यर्थ है, जिसमें मेरे प्रभु श्रीराम का नाम नहीं हो. मैंने उस माला को कई तरह से देखा, पर उसमें कहीं भी राम-नाम नहीं था. इसलिए मैंने त्याग दिया।" लक्ष्मण ने चुनौती दी- "अगर ऐसी बात है तो फिर तुम्हारे शरीर में भी राम नहीं हैं, तो क्यों नहीं तुम अपने शरीर को भी त्याग देते?"

जब हनुमानजी ने चीर दिया अपना सीना

लक्ष्मण की बात सुनते ही हनुमानजी ने बिना कोई देर किए अपने नाखूनों से अपना सीना चीर डाला. सभा सन्न रह गई क्योंकि उनके सीने के भीतर श्रीराम और माता सीता की सुंदर छवि स्पष्ट दिखाई दी. यह देख लक्ष्मण नतमस्तक हो गए, उनकी आंखों से पश्चाताप के आंसू बहने लगे. उन्होंने हनुमानजी से क्षमा मांगी और उनके अनन्य प्रेम और भक्ति को श्रद्धा से नमन किया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Read More
{}{}