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हनुमान जी को क्यों लेना पड़ा पंचमुखी अवतार? जानें इसका रहस्य

Hanuman Panchmukhi Avatar Katha: कलयुग में हनुमानजी को प्रत्यक्ष देव माना गया है. कहते हैं कि इनकी पूजा से व्यक्ति के हर संकट दूर हो जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को पंचमुखी अवतार क्यों लेना पड़ा था और इस अवतार क्या रहस्य क्या है. आइए जनते हैं.   

हनुमान जी को क्यों लेना पड़ा पंचमुखी अवतार? जानें इसका रहस्य
Dipesh Thakur|Updated: Apr 12, 2025, 09:51 AM IST
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Hanuman Janmotsav 2025: हर साल हनुमान जन्मोत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को यानी आज मनाया जा रहा है. हनुमानजी को कलयुग में प्रत्यक्ष देव कहा गया है. इसके अलावा हनुमानजी को चिरंजिवी होने का आशीर्वाद प्राप्त है. इसलिए कलयुग में हनुमान जी की उपासना बेहद शुभ फलदायी मानी गई है. कहते हैं कि एक हनुमान जी को पंचमुखी अवतार लेना पड़ा था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हनुमान जी को यह अवतार क्यों लेना पड़ा? चलिए जानते हैं कि हनुमान जी के पंचमुखी अवतार से जुड़ा रहस्य क्या है.

हनुमान जी को क्यों लेना पड़ा पंचमुखी अवतार

शास्त्रों और पुराणों में हनुमान जी के पंचमुखी अवतार का वर्णन अत्यंत रोचक और रहस्यमय है. इस अवतार से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा राम-रावण युद्ध के दौरान घटित होती है. जब राम-रावण युद्ध चल रहा था, तो रावण को महसूस हुआ कि उसकी सेना हार की ओर बढ़ रही है. तब उसने अपनी सहायता के लिए अपने मायावी और तंत्र विद्या में निपुण भाई अहिरावण को बुलाया. अहिरावण मां भवानी का परम भक्त था. उसने अपनी मायावी शक्तियों से भगवान राम, लक्ष्मण और पूरी वानर सेना को गहरी नींद में सुला दिया और राम-लक्ष्मण को अपहरण कर पाताल लोक ले गया. वहां, अहिरावण ने मां भवानी को प्रसन्न करने के लिए पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाए थे. उसे वरदान था कि जब तक ये पांच दीपक एक साथ नहीं बुझते, कोई उसे मार नहीं सकता. हनुमान जी ने अपने प्रभु को बचाने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया और एक साथ पांचों दीपकों को बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया. इससे राम और लक्ष्मण मुक्त हो गए.

हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप का रहस्य

वानर मुख (पूर्व दिशा)- हनुमान जी का मूल मुख। यह मुख शत्रु विनाश और साहस की प्राप्ति का प्रतीक है.

गरुड़ मुख (पश्चिम दिशा)- जीवन की रुकावटों और विष प्रभाव से रक्षा करता है. यह मुख विशेष रूप से नाग दोष निवारण में पूजनीय है.

वराह मुख (उत्तर दिशा)- यह मुख आयु, यश और कीर्ति बढ़ाने वाला है. वराह स्वरूप भगवान विष्णु का प्रतीक है.

नृसिंह मुख (दक्षिण दिशा)- यह मुख संकटों और भय से मुक्ति दिलाता है. नृसिंह रूप दुष्ट शक्तियों के नाशक माने जाते हैं.

अश्व मुख (आकाश की ओर)- यह मुख मनोकामना पूर्ति और तेज-बल की प्राप्ति में सहायक माना गया है.

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा विधि

सुबह स्नान कर साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें. इसके बाद पवित्र होकर हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं. पंचमुखों की दिशा के अनुसार पंचोपचार पूजा करें (गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य). इसके बाद हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ करें. अंत में आरती करें और प्रसाद बांटकर पूजन का समापन करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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