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धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें ये सरल उपाय, आर्थिक तंगी से भी मिलेगा छुटकारा!

Laxmi Ji Upay: हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है. मां लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है. साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. 

धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें ये सरल उपाय, आर्थिक तंगी से भी मिलेगा छुटकारा!
Gurutva Rajput|Updated: Oct 18, 2024, 10:45 AM IST
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Maa Laxmi ko Kaise Prasan Karein: हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है. मां लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है. साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो रोजाना भक्तिभाव से श्री-सूक्त का पाठ करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति पर अपनी असीम कृपा बनाए रखती हैं. यहां पढ़ें श्री-सूक्त पाठ...

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।। श्री-सूक्त पाठ ।। (Shri Suktam Paath)

हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥

उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ॥

गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरींग् सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥

कर्दमेन प्रजाभूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पूरुषानहम् ॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.

 

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