Mahabharat yudh Rules: महाभारत के युद्ध की लड़ाई को धर्म युद्ध के नाम से भी जाना जाता है. आपसी संपत्ति विवाद के लिए दो परिवारों के बीच इस युद्ध में जन-धन की भारी हानी हुई थी. यूं तो पांडवों की ओर से युद्ध को रोकने के कई प्रयास किए गए लेकिन दुर्योधन की ओर से सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया जाता था. नतीजा ये हुआ कि संपत्ति की लालच में दुर्योधन किसी भी हालत सिर्फ युद्ध करना चाहता था. वह चाहता था कि पांडवों को बुरी तरह से परास्त किया जाए.
जब हर नाकाम कोशिश के बाद दोनों तरफ से सेनाएं आमने-सामने हुई तो युद्ध के लिए कुछ नियम तय किए गए. नियम तय करते समय भीष्म पितामह, गुरुद्रोणाचार्य कुल गुरु कृपाचार्य, वासुदेव कृष्ण समेत दोनों पक्षों के कई प्रमुख व्यक्ति मौजूद रहे. दोनों तरफ के प्रमुख व्यक्तियों ने मिलकर जो नियम तैयार किए वो कुछ इस तरह थे-
यहां जानें युद्ध के नियम
लेकिन जब युद्ध हुए तो ये सारे के सारे नियम धरे के धरे रह गए. दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार नियम को तोड़े गए. हालांकि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सबसे पहले कौरवों ने युद्ध के नियम को तोड़े थे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)