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पश्चिम बंगाल के दीघा में बना नया जगन्नाथ मंदिर, जानें पुरी को क्यों है इस बात के लेकर टेंशन

Digha Jagannath Temple: इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बताया कि दीघा मंदिर में गैर-हिंदुओं और विदेशी पर्यटकों को भी प्रवेश की अनुमति होगी, जो पुरी की पारंपरिक नीति से अलग है.

पश्चिम बंगाल के दीघा में बना नया जगन्नाथ मंदिर, जानें पुरी को क्यों है इस बात के लेकर टेंशन
Dipesh Thakur|Updated: May 02, 2025, 11:51 AM IST
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Digha Jagannath Temple: पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के समुद्र तटीय शहर दीघा में 24 एकड़ भूमि पर 250 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किया गया है. यह मंदिर पुरी से लगभग 350 किलोमीटर दूर है और इसकी ऊंचाई 213 फुट है. कलिंग शैली में निर्मित यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और महालक्ष्मी को समर्पित है. इसका उद्घाटन अक्षय तृतीया पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था.

हालांकि, पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सेवकों ने दीघा मंदिर में आयोजित अनुष्ठानों में भाग लेने से अपने समुदाय को मना किया है. उनका कहना है कि पुरी के पारंपरिक अनुष्ठानों की नकल करना अनुचित है और इससे मूल मंदिर की धार्मिक महत्ता प्रभावित हो सकती है. प्रमुख सेवक समूहों जैसे सुअर महासूअर निजोग और पुष्पलका निजोग ने बाकायदा नोटिस जारी कर यह चेतावनी दी है.

सुअर महासूअर निजोग के अध्यक्ष पद्मनाव महासूअर ने कहा कि वे दीघा मंदिर के निर्माण का स्वागत करते हैं, लेकिन वहां पुरी जैसे पारंपरिक अनुष्ठान दोहराना उचित नहीं होगा. उनका मानना है कि इससे पुरी की विशिष्टता कमजोर पड़ सकती है.

गैर-हिंदुओं और विदेशी पर्यटकों को मिलेगा प्रवेश

30 अप्रैल को आयोजित उद्घाटन समारोह में पुरी के दैतापति सेवक रामकृष्ण दासमोहपात्रा और इस्कॉन के प्रतिनिधि उपस्थित थे. इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बताया कि दीघा मंदिर में गैर-हिंदुओं और विदेशी पर्यटकों को भी प्रवेश की अनुमति होगी, जो पुरी की पारंपरिक नीति से अलग है.

धाम को लेकर आपत्ति

इस बीच, मंदिर के प्रचार में ‘धाम’ शब्द और पुरी मंदिर के प्रतीक ‘नीलचक्र’ की तस्वीर के इस्तेमाल पर भी पुरी के कुछ सेवकों और संस्कृति शोधकर्ताओं ने आपत्ति जताई है. दैतापति रामचंद्र दासमोहपात्रा ने स्पष्ट किया कि हिन्दू परंपरा में चार ही धाम माने जाते हैं- बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम. उन्होंने यह भी कहा कि दीघा मंदिर में बनी मूर्तियां पत्थर की हैं, जबकि भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां नीम की लकड़ी (दारू) से बनती हैं, जो धार्मिक मान्यता के अनुसार आवश्यक है.

सेवकों की चिंता यह भी है कि दीघा मंदिर बंगाल से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पुरी का एक विकल्प बन सकता है. ओडिशा सरकार के अनुसार, 2023 में राज्य में आने वाले 97 लाख घरेलू पर्यटकों में से 14% पश्चिम बंगाल से थे.

हालांकि पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग मानते हैं कि पुरी मंदिर की महत्ता दीर्घकालीन है. एक प्रमुख टूर ऑपरेटर युगब्रत कर ने कहा, “दीघा में अभी पुरी जैसे पर्यटन ढांचे की कमी है. लेकिन अगर ओडिशा सरकार श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाने पर ध्यान नहीं देगी, तो भविष्य में इसका असर हो सकता है.”

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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