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मरणासन्‍न लोगों के लिए अलग से क्‍यों बनता है पुरी के जगन्‍नाथ मंदिर में 'महाप्रसाद'?

Jagannath Puri prasad mystery: जगन्‍नाथ मंदिर की जितनी रथ यात्रा मशहूर है, उतना ही यहां का महाप्रसाद. बहुत कम लोग जानते हैं कि यहां 3 तरह का प्रसाद तैयार होता है. इनमें एक प्रसाद तो मोक्ष दिलाने वाला है. 

मरणासन्‍न लोगों के लिए अलग से क्‍यों बनता है पुरी के जगन्‍नाथ मंदिर में 'महाप्रसाद'?
Shraddha Jain|Updated: Jun 23, 2025, 01:02 PM IST
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Jagannath Puri Mahaprasad: भारत के चार धामों में से एक ओडिशा का जगन्नाथ पुरी मंदिर अपनी भव्यता, रथ यात्रा, परंपराओं और महाप्रसाद के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. हर साल पुरी की जगन्‍नाथ रथ यात्रा में शामिल होने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. वहीं भगवान जगन्‍नाथ के दर्शन करने के लिए और यहां का महाप्रसाद पाने के लिए पूरे साल भक्‍तों का तांता लगा रहता है. यहां दुनिया का सबसे बड़ा किचन है, जिसमें रोजाना हजारों लोगों के लिए महाप्रसाद तैयार किया जाता है. इतना ही नहीं यहां तैयार होने वाले महाप्रसाद से जुड़े कई रहस्‍य हैं. जैसे- मान्‍यता है कि जगन्‍नाथ मंदिर की रसोई में स्‍वयं मां लक्ष्‍मी आती हैं और उनकी देखरेख में महाप्रसाद तैयार होता है. साथ ही यहां 7 मिट्टी के पात्रों को एक के ऊपर रखकर भोजन पकाया जाता है और सबसे ऊपर के बर्तन का भोजन सबसे पहले पकता है. 

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मरणासन्‍न लोगों के लिए महाप्रसाद 

जगन्‍नाथ मंदिर में 3 तरह का महाप्रसाद तैयार किया जाता है. 

पहला संकुदी महाप्रसाद - यह वह प्रसाद है जिसे भक्त मंदिर परिसर के भीतर ही ग्रहण कर सकते हैं. संकुदी महाप्रसाद को भक्‍तों को घर ले जाने की अनुमति नहीं होती है. इस महाप्रसाद को भक्‍त सीधे रसोई में ही ग्रहण करते हैं. 
 
दूसरा सुखिला महाप्रसाद: सुखिला महाप्रसाद में मिठाइयां और नमकीन जैसी सूखी वस्‍तुएं होती हैं, जिसे भक्‍त अपने घर ले जा सकते हैं. ताकि अपने परिजनों, करीबियों को बांट सकें. यह प्रसाद लंबे समय तक खराब नहीं होता है. 

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तीसरा निर्मला प्रसाद: निर्मला प्रसाद मोक्ष का द्वार खोलने वाला है. यह प्रसाद प्रमुख तौर पर सूखे चावलों का होता है. इसे ऐसे लोगों के लिए बनाया जाता है जो मरणासन्‍न होते हैं, यानी जिनकी मृत्‍यु निकट होती है. मान्‍यता है यह महाप्रसाद ग्रहण करने से जातक के सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं, मृत्‍यु को लेकर उसका भय कम हो जाता है और वह आसानी से प्राण त्‍याग पाता है. साथ ही मरने के बाद उसे मोक्ष प्राप्‍त होता है. यह विशेष प्रसाद कोइली वैकुंठ नाम के विशेष स्‍थान पर तैयार किया जाता है, जहां भगवान जगन्नाथ की पुरानी प्रतिमाओं को दफनाया जाता है, जिससे इस प्रसाद की पवित्रता और भी बढ़ जाती है.

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(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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