trendingNow12111354
Hindi News >>धर्म
Advertisement

Ratha Saptami 2024: रथ सप्तमी को हुआ था सूर्य देव का जन्म, 15 या 16 किस दिन मनाई जाएगी अचला सप्तमी

Ratha Sapatami 2024 Date And Time: रथ सप्तमी का पर्व दक्षिण भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन रथ सप्तमी मनाई जाती है. इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है. जानें सूर्य देव से जुड़ा कौन-सा उपाय करने से व्यक्ति को बीमारियों से छुटकारा मिलता है. 

 
ratha saptami upay
ratha saptami upay
shilpa jain|Updated: Feb 15, 2024, 10:34 AM IST
Share

Ratha Saptami Upay: हिंदू शास्त्रों में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है. बता दें कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. इसे अचला सप्तमी या सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्य का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व बताया जाता है. 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव का पूजन करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं और संकट दूर होते हैं. कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी मजबूत होती है. जानें इस बार 15 या 16 किस दिन मनाई जाएगी रथ सप्तमी?

कब है रथ सप्तमी 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 15 फरवरी 2024 गुरुवार के दिन सुबह 10 बजकर 12 मिनट से शुरू हो रही है और 16 फरवरी  2024 शुक्रवार सुबह 8 बजकर 54 मिनट इसका समापन होगा. बता दें कि हिंदू धर्म में पूजा-पाठ आदि उदयातिथि के अनुसार ही रखे जाते हैं. ऐसे में उदायतिथि को देखते हुए रथ सप्तमी 16 फरवरी को मनाई जाएगी. 

रथ सप्तमी के दिन हुआ था सूर्य का जन्म

पौराणिक कथाओं के अनुसार माघ माह की सप्तमी तिथि के दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव का जन्म हुआ था.  कहते हैं कि सूर्य देव की सवारी सात घोड़े हैं, इसलिए इस तिथि को रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि रथ सप्तमी का व्रत करने और भगवान सूर्य की आराधना करने से व्यक्ति को सभी कष्टों और बीमारियों से जल्द छुटकारा मिल जाता है. 

इतना ही नहीं, व्यक्ति को शारीरिक रोग से भी छुटकारा मिलता है. धन-धान्य में वृद्धि होती है. इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव ने अपने रथ पर सवार होकर संसार को प्रकाश से अवलोकित करना शुरू किया था. 

सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि 

मान्यता है कि अगर रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाए तो व्यक्ति को बहुत जल्द बीमारियों और शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है. लेकिन सूर्य देव की पूजा से मिलने वाले पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए सही विधि से अर्घ्य देना बहुत जरूरी है. 

रथ सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले ही पवित्र नदी में स्नान करें. नदी में डुबकी लगाते समय सिर पर बैर और मदार के सात-सात पत्ते रखें. इसके बाद सात-सात बैर और मदार के पत्ते, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. सप्तमी देवी को नमस्कार करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. 

तीन स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य को नमस्कार करें. घी का दीपक जलाएं. लाल फूल, कपूर और धूप के साथ सूर्य देव का पूजन करें. इस अनुष्ठान को करने से व्यक्ति को लंबी उम्र और सफलता की प्राप्ति होती है. 

रथ सपत्मी के दिन कई महिलाएं घर में सूर्य देव के स्वागत के लिए रंगोली बनाती हैं. 

रथ सप्तमी के दिन आंगन में मिट्टी के बर्तन में दूध रखा जाता है और सूर्य की गर्मी से उसे उबाला जाता है. बाद में इस दूध का इस्तेमाल सूर्य देव को भोग लगाने में अर्पण किए जाने वाले चावलों में किया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)    

Read More
{}{}