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Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त में कर लें ये पाठ, समस्याएं होंगी दूर, मां शारदा देंगी विद्या का आशीर्वाद

Saraswati Kavach Lyrics: आज के दिन सरस्वती कवच का पाठ करने से काफी लाभ होते हैं. जो व्यक्ति श्रद्धाभाव से सरस्वती कवच का पाठ करता है उसके जीवन से समस्याएं दूर होती हैं और मां सरस्वती उसे विद्या, ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं.

Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त में कर लें ये पाठ, समस्याएं होंगी दूर, मां शारदा देंगी विद्या का आशीर्वाद
Gurutva Rajput|Updated: Feb 14, 2024, 10:33 AM IST
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Basant Panchami 2024: आज सरस्वती पूजा का खास दिन है जिसे बसंत पंचमी भी कहा जाता है. आज के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है. उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में अज्ञानता का अंधकार दूर हो कर ज्ञान की रोशनी फैलती है. 

 

करें सरस्वती कवच का पाठ

आज के दिन सरस्वती कवच का पाठ करने से काफी लाभ होते हैं. जो व्यक्ति श्रद्धाभाव से सरस्वती कवच का पाठ करता है उसके जीवन से समस्याएं दूर होती हैं और मां सरस्वती उसे विद्या, ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं. आप ये पाठ शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं. बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 1 मिनट से शुरु हो गया है जो कि दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक चलेगा. इस 5 घंटे 35 मिनट के शुभ मुहूर्त में कभी भी सरस्वती कवच का पाठ कर सकते हैं.

 

सरस्वती कवच का पाठ (Saraswati Kavach Lyrics in Hindi)

श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वत:।

श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदावतु।।

ऊं सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्र पातु निरन्तरम्।

ऊं श्रीं ह्रीं भारत्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदावतु।।

ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोवतु।

ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा ओष्ठं सदावतु।।

ऊं श्रीं ह्रीं ब्राह्मयै स्वाहेति दन्तपंक्ती: सदावतु।

ऐमित्येकाक्षरो मन्त्रो मम कण्ठं सदावतु।।

ऊं श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कन्धं मे श्रीं सदावतु।

श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्ष: सदावतु।।

ऊं ह्रीं विद्यास्वरुपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम्।

ऊं ह्रीं ह्रीं वाण्यै स्वाहेति मम पृष्ठं सदावतु।।

ऊं सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदावतु।

ऊं रागधिष्ठातृदेव्यै सर्वांगं मे सदावतु।।

ऊं सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा प्राच्यां सदावतु।

ऊं ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाग्निदिशि रक्षतु।।

ऊं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा।

सततं मन्त्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदावतु।।

ऊं ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मन्त्रो नैर्ऋत्यां मे सदावतु।

कविजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु।।

ऊं सदाम्बिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदावतु।

ऊं गद्यपद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेवतु।।

ऊं सर्वशास्त्रवासिन्यै स्वाहैशान्यां सदावतु।

ऊं ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोध्र्वं सदावतु।।

ऐं ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाधो मां सदावतु।

ऊं ग्रन्थबीजरुपायै स्वाहा मां सर्वतोवतु।।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)   

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