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Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जन्मोत्सव पर सालासर बालाजी ने पहना सोने का चोला, जानें क्या हैं खासियतें

Salasar Balaji Temple: राजस्थान के चुरु जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर में तीन दिवसीय लक्खी मेला का मुख्य दिन आज है. इस अवसर पर बालाजी ने 21 तोले सोने से बना नया चोला धारण किया है. ये चोला काफी खास है.

Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जन्मोत्सव पर सालासर बालाजी ने पहना सोने का चोला, जानें क्या हैं खासियतें
Gurutva Rajput|Updated: Apr 23, 2024, 01:13 PM IST
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Hanuman Janamotsav in Salasar Balaji: आज पूरे देश में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करने का विधान है. वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जयंती या जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसी अवसर पर हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर सालासर बालाजी में खास कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

धारण किया सोने का चोला
राजस्थान के चुरु जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर में तीन दिवसीय लक्खी मेला का मुख्य दिन आज है. इस अवसर पर बालाजी ने 21 तोले सोने से बना नया चोला धारण किया है. ये चोला काफी खास है इसपर राम-नाम के शब्द उकेरे गए हैं. इसी के साथ इस सोने के चोले में डायमंड, चांदी, मोतियों का इस्तेमाल किया गया है. 

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
राजस्थान में स्थित हनुमान मंदिर की मान्यता काफी दूर-दूर तक है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी आते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी तरह के रोग-दोष से मुक्ति मिल जाती है. यहां पर हनुमान जी की दाढ़ी और मूंछों में मूर्ति स्थापित है. इसका कारण ये बताया जाता है कि हनुमानजी ने पहली बार मोहनदास महाराज को दाढ़ी मूंछों वाले वेश में ही दर्शन दिए थे. 

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नारियल चढ़ाने की परंपरा
माना जाता है कि सालासर बालाजी को प्रसन्न करने के लिए एक मात्र नारियल ही काफी है. जो भी श्रद्धालु यहां आते हैं वे हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए नारियल और ध्वज जरूर लाते हैं. मंदिर में करीब 25 लाख से ज्यादा नारियल हर साल चढ़ाए जाते हैं. ये भी मान्यता है कि मंदिर के परिसर में लगे खेजड़ी के पेड़ पर लाल कपड़े में नारियल बांधने से मनोकामना पूरी होती हैं. इसके अलावा यहां बालाजी को बाजरे के चूरमे का खास भोग भी लगाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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