Sawan 2025 Last Mangla Gauri Vrat: सावन का पवित्र महीना भले ही अपने समापन की ओर हो लेकिन जाते जाते इस माह में पड़ने वाले व्रत त्योहार पूरे माह को गुलजार बनाए हुए हैं. सावन का महीना वैसे तो भगवान शिव को समर्पित है लेकिन इस माह के हर मंगलवार को पूरे विधि विधान से माता पर्वती की पूजा की जाती है. सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत के रूप में मनाया जाता है. इस तरह 5 अगस्त को सावन माह का चौथा और अंतिम मंगला गौरी व्रत है. आइए मंगला गौरी व्रत महत्व, इस दिन के लिए पूजा विधि और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त जानें.
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
मंगला गौरी व्रत के दिन जल्दी सुबह उठ जाएं और स्नानादि करें.
साफ कपड़े पहने और माता पार्वती का ध्यान करें.
अब पूजाघर में जाएं और मां गौरी की एक प्रतिमा के सामने बैठें और व्रत का संकल्प करें.
इसके बाद दीया जलाएं और विधि विधान से माता पार्वती की पूजा शुरू करें.
माता को 16 श्रृंगार अर्पित करें. माता को उनके प्रिय भोग जैसे खीर आदि अर्पित करें.
पूजा को माता की आरती करके संपन्न करें और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति की कामना कर माता का आशीर्वाद लें.
मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त 04:20 AM से लेकर 05:02 AM तक.
प्रातः सन्ध्या 04:41 AM से लेकर 05:45 AM तक.
अभिजित मुहूर्त 12:00 PM से लेकर 12:54 PM तक.
विजय मुहूर्त 02:41 PM से लेकर 03:35 PM
गोधूलि मुहूर्त 07:09 PM से लेकर 07:30 PM तक.
सायाह्न सन्ध्या 07:09 PM से लेकर 08:13 PM तक.
रवि योग 05:45 AM से लेकर 11:23 AM तक.
निशिता मुहूर्त 12:06 AM, अगस्त 06 से लेकर 12:48 AM, अगस्त 06 तक.
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत रखकर ही माता पार्वती ने महादेव को पति के रूप में प्राप्त किया और तभी से सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र व सुखद वैवाहिक जीवन के इस व्रत का संकल्प करती हैं और मां पर्वती की विधि विधान से इस दिन पूजा करती हैं. इस व्रत को अविवाहित कन्याएं भी करती है ताकि इच्छित और योग्य वर की प्राप्ति हो सकता है.
(Disclaimer- प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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