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सावन में भगवान शिव की कृपा पाने का आखिरी सुनहरा मौका, बेहद खास है 6 अगस्‍त का दिन

Sawan Pradosh Vrat Kab Hai 2025: सावन महीने का हर दिन बेहद पवित्र होता है लेकिन कुछ तिथियां विशेष होती हैं. सावन महीने खत्‍म हो रहा है और भक्‍तों भगवान शिव को प्रसन्‍न करने का एक और सुनहरा मौका मिल रहा है. 

सावन में भगवान शिव की कृपा पाने का आखिरी सुनहरा मौका, बेहद खास है 6 अगस्‍त का दिन
Shraddha Jain|Updated: Aug 05, 2025, 07:14 AM IST
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Last Sawan Pradosh 2025: हर महीने के दोनों प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित हैं. साथ ही सावन महीना भी भोलेनाथ को समर्पित है. इसलिए शिव भक्‍त पूरे सावन महीने में महादेव को प्रसन्‍न करने के लिए हर जतन करते हैं. 11 जुलाई से शुरू हुआ सावन महीना 9 अगस्‍त को रक्षाबंधन के दिन समाप्‍त होने जा रहा है. चारों सावन सोमवार के व्रत भी रखे जा चुके हैं, मंगला गौरी व्रत भी पूरे हो गए हैं. लेकिन अब भी भगवान शिव को प्रसन्‍न करने की एक विशेष तिथि बाकी है. वो है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत. प्रदोष व्रत करने और इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने, पूजा करने से महादेव की अपार कृपा बरसती है. 

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सावन प्रदोष 2025 
 
हिंदू धर्म में मान्‍यता है कि प्रदोष व्रत रखने और इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. उस पर सावन महीने का प्रदोष व्रत तो विशेष होता है. इस साल पंचांग के अनुसार सावन के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 6 अगस्त, बुधवार की दोपहर 2 बजकर 8 मिनट से शुरू होगी और 7 अगस्त, गुरुवार की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर समाप्‍त होगा. चूंकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाती है, लिहाजा सावन का आखिरी प्रदोष 6 अगस्‍त को रहेगा. प्रदोष व्रत हर महीने के कृष्‍ण पक्ष और शुक्‍ल पक्ष दोनों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. 

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सावन के आखिरी प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त

सावन के आखिरी प्रदोष की पूजा के लिए 6 अगस्त को प्रदोष काल का समय शाम 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. ऐसे में सावन के आखिरी प्रदोष की पूजा के लिए कुल 2 घंटे 8 मिनट का समय मिलेगा. 

सावन प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत के दिन सुबह तो शिव जी की पूजा और अभिषेक करना ही चाहिए. शाम को प्रदोष काल से पहले फिर से स्‍नान करके, साफ कपड़े पहनकर विधि-विधान से शिव पूजा करनी चाहिए. तभी प्रदोष व्रत का पूरा फल मिलता है और शिव जी जल्‍दी प्रसन्‍न होते हैं. 

सच्‍चे मन और विधि-विधान से प्रदोष व्रत रखने से भक्‍त की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उसे शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है. साधक का स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहता है. वह दीर्घायु होता है. साथ ही कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. जीवन में अपार धन-समृद्धि और सुख मिलता है. करियर में उन्‍नति मिलती है. 

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(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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