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शुरू हो गया श्रावण मास, कब है सावन शिवरात्रि? करें गंगाजल से शिव जी का अभिषेक, दूर होंगे सारे कष्‍ट

Sawan Shivratri 2025 Date: सावन महीने की शिवरात्रि बेहद खास होती है. सावन शिवरात्रि सावन महीने के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ती है. सावन शिवरात्रि को महाशिवरात्रि की तरह अहम माना गया है. 

शुरू हो गया श्रावण मास, कब है सावन शिवरात्रि? करें गंगाजल से शिव जी का अभिषेक, दूर होंगे सारे कष्‍ट
Shraddha Jain|Updated: Jul 13, 2025, 10:20 AM IST
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Sawan Shivratri kab hai: जिस तरह फाल्‍गुन माह में पड़ने वाली महाशिवरात्रि बेहद महत्‍वपूर्ण होती है, वैसे ही सावन मास की शिवरात्रि का बड़ा महत्‍व है. हर महीने कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन भगवान शिव के प्रिय महीने सावन की शिवरात्रि बहुत अहम होती है. इस दिन सभी शिव भक्‍त व्रत रखते हैं. श्रावण मास की शिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है. सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक करना बेहद पुण्‍यदायक होता है. 

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गंगाजल से अभिषेक 

विशेष तौर पर सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से शिव जी प्रसन्‍न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसके अलावा सावन शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ होता है. इससे जातक के सारे दुख-कष्‍ट दूर होते हैं. 

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कब है सावन शिवरात्रि

पंचांग के अनुसार, सावन कृष्ण चतुर्दशी 23 जुलाई को सुबह 4.39 बजे से प्रारंभ होगी और 24 जुलाई को तड़के सुबह 2.28 बजे तक समाप्‍त होगी. लिहाजा सावन शिवरात्रि बुधवार 23 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी. 

भगवान शिव की पूजा निशिता काल में करने का महत्‍व है. इस साल सावन शिवरात्रि पर शिव पूजा के लिए निशिता काल का सबसे शुभ पूजा मुहूर्त 23 जुलाई की देर रात 12:13 बजे से 12:54 बजे तक रहेगा. इसके अलावा शाम को भी सावन शिवरात्रि की पूजा प्रदोष काल में की जा सकेगी. इसके लिए शुभ मुहूर्त 23 जुलाई को शाम 07:20 बजे से रात 09:57 बजे तक रहेगा. वहीं सावन शिवरात्रि व्रत का पारण 24 जुलाई को सुबह 05:47 बजे के बाद किया जा सकेगा.  

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सावन शिवरात्रि व्रत विधि 

सावन शिवरात्रि व्रत रखने वाले भक्‍त एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि के दिन केवल एक समय ही भोजन करें. फिर शिवरात्रि की सुबह जल्‍दी स्‍नान करके व्रत का संकल्‍प लें. संकल्प के दौरान भगवान शिव और उनके गणों का स्‍मरण करें. साथ ही भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न पूरा करने के लिए आशीर्वाद मांगें. पूरे दिन व्रत रखें फिर शाम को स्‍नान करके शिव जी की विधि-विधान से पूजा करें. संभव हो तो भगवान शिव की निशिता पूजा भी करें. इसके बाद अगले दिन स्नान और सामान्‍य पूजन करने के बाद अपना व्रत तोड़ें. व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए भक्तों को सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए.

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(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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