trendingNow12865793
Hindi News >>धर्म
Advertisement

Pauranik Katha: राजकुमारी ने बिना देखे ही मोर मुकुट वाले से किया अथाह प्रेम, जानें श्रीकृष्ण देवी रुक्मणी विवाह की कथा!

Devi Rukmini Vivah Katha: देवी रुक्मिणी विदर्भ देश की राजकुमारी थी और राजा भीष्मक की पुत्री थीं. उन्होंने श्रीकृष्ण को कभी नहीं देखा था लेकिन उनसे अथाह प्रेम करती थीं और उनसे विवाह करना चाहती थीं. आइए जानें श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी के विवाह की कथा.

Shri Krishna Rukmini Marriage story
Shri Krishna Rukmini Marriage story
Padma Shree Shubham|Updated: Aug 03, 2025, 03:06 PM IST
Share

Lord Krishna And Devi Rukmini Vivah Katha: भगवान श्रीकृष्ण चहु ओर प्रेम का प्रसार करते हैं. जिस भी हृदय में प्रेम है समझ लीजिए उल हृदय में कृष्ण जी का वास है. श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की कथाएं तो हर ओर वाची जाती हैं लेकिन आज की इस कड़ी में हम जानेंगे उस राजकुमारी के बारे में जिसने श्रीकृष्ण को देखे बिना ही उनसे अथाह प्रेम किया. आज हम कथा जानें श्रीकृष्ण और श्रीरुक्मणी जी के विवाह की कथा जो प्रेम की हर एक परिभाषाओं पर खरी उतरती है.

श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह की कथा
देवी रुक्मिणी विदर्भ देश की राजकुमारी थी और उनके पिता राजा भीष्मक थे. देवी रुक्मिणी अति  सुंदर और अति बुद्धिमान थीं. एक समय की बात है पिता भीष्मक अपनी देवी रुक्मिणी के लिए एक सुयोग्य वर खोज रहे थे. वहीं दूसरी ओर देवी रुक्मिणी जी ने कृष्ण जी के बारे में बहुत कुछ सुना था. उनका पहनावा, उनके साहस और वीरता की बखान, इस तरह देवी रुक्मिणी को श्रीकृष्ण से प्रेम हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण को मन ही मन अपना पति मान लिया.

देवी रुक्मिणी का श्रीकृष्ण को पत्र
देवी रुक्मिणी के भाई राजकुमार रुक्मी का एक मित्र था चेदिराज शिशुपाल जो देवी रुक्मिणी से विवाह करने की इच्छा रखता है. रुक्मी के कहने पर राजा भीष्मक ने देवी रुक्मणी का विवाह शिशुपाल संग करने के लिए मान गए. लेकिन देवी रुक्मिणी ने तो कृष्ण जी को ही अपना पति मान लिया था. ऐसे में उन्होंने श्रीकृष्ण को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि हे नंद-नंदन!  पति रूप में मैंने आपका ही वरण किया है. आपको छोड़कर किसी अन्य के साथ विवाह नहीं कर सकती. मेरा विवाह मेरी इच्छा के विरुद्ध शिशुपाल से साथ किया जा रहा है. विवाह की तिथि तय कर दी गई है. मेरे कुल की ये रीति है कि विवाह के पहले वधु नगर के बाहर देवी दर्शन के लिए जाती है. मैं भी विवाह के वस्त्रों में तैयार होकर दर्शन करने के लिए मंदिर जाऊंगी. मेरी इच्छा है कि आप भी मंदिर पहुंचकर मुझे अपनी पत्नी रूप में स्वीकार करें. यदि आप मंदिर नहीं पहुंचे तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी. फिर क्या था शिशुपाल संग विवाह से पहले ही कृष्णजी ने रुक्मिणी के कहे अनुसार मंदिर पहुंत गए और देवी रुक्मिणी का हरण कर लिया और द्वारिका लाकर उनके साथ विधिवत विवाह किया. हालांकि देवी रुक्मिणी का हरण के बाद रास्ते में श्रीकृष्ण को शिशुपाल व रुक्म से युद्ध करना पड़ा. जिसमें द्वारकाधीश विजयी हुए. इस तरह देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण का विवाह संपन्न हुआ.

(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

Read More
{}{}