Tripund Lagane ka Mahtva: सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाने का बड़ा महत्व है. फिर चाहे वह पूजा में भगवान को तिलक लगाना हो या जातक को अपने माथे पर. यूं कहें कि तिलक के बगैर कोई भी पूजा या सत्कर्म सफल नहीं माना जाता है. तिलक कई तरह के होते हैं और भगवान के भक्त, गुरु परंपराओं के शिष्य अलग-अलग प्रकार के तिलक लगाते हैं. भगवान शिव के भक्त त्रिपुंड लगाते हैं. त्रिपुंड को विशेष माना गया है. इसे महादेव का महाप्रसाद माना जाता है.
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त्रिपुंड का धार्मिक महत्व
त्रिपुंड भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है. वासुदेवोपनिषद में त्रिपुंड्र या फिर कहें त्रिपुंड को त्रिमूर्ति, तीन व्याहृती (संध्या के समय उच्चारण किए जानेवाले विशेष मंत्र) एवं तीन छंद का प्रतीक बताया गया है. इसके साथ-साथ त्रिपुंड ज्ञान, पवित्रता और तप यानि योगसाधना को भी दर्शाता है.
पुराणों के अनुसार त्रिपुंड इतना ताकतवर और पवित्र होता है कि यदि आप किसी व्यक्ति के माथे पर लगे त्रिपुंड का दर्शन भी कर लें तो आपके सारे अमंगल नष्ट हो जाते हैं. उस पर स्वयं त्रिपुंड लगाना तो अत्यंत मंगलकारी होता है. त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति दीर्घायु होती है, उसे देवताओं-ऋषियों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है. वहीं ज्योतिष के अनुसार त्रिपुंड की ऊपरी रेखा देवगुरु बृहस्पति, मंझली या बीच की रेखा सूर्यपुत्र शनि एवं निचली रेखा भगवान सूर्यदेव का प्रतीक है. ये तीनों ग्रह ज्योतिष में बेहद शक्तिशाली माने गए हैं. इनका माथे पर त्रिपुंड के रूप में होना जातक का सोया भाग्य जगा देता है. तीनों ग्रह उसे शुभ फल देते हैं.
त्रिपुंड लगाने की विधि और नियम
- त्रिपुंड लगाने से पहले खुद को तन-मन से शुद्ध कर लें. कभी भी अपवित्र स्थिति में त्रिपुंड ना लगाएं.
- त्रिपुंड लगाते समय आपका मुंह पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर रहना चाहिए.
- पहले शिवलिंग पर या महादेव की मूर्ति पर त्रिपुंड लगाएं, फिर अपने माथे पर त्रिपुंड लगाएं. सीधे अपने माथे पर त्रिपुंड ना लगाएं.
- त्रिपुंड भस्म से लगाना सबसे शुभ माना गया है. इसके अलावा चंदन से भी त्रिपुंड लगा सकते हैं. इसके लिए अपनी तर्जनी, मध्यमा और अनामिका अंगुली की सहायता से बाएं से दाएं ओर की तरफ माथे पर त्रिपुंड लगाएं.
- त्रिपुंड लगाते समय - 'ॐ अग्पिरित भस्म. ॐ वायुरिति भस्म. ॐ जलमिति भस्म. ॐ व्योमेति भस्म. ॐ सर्वं ह वा इदं भस्म. ॐ मन एतानि चक्षूंसि भस्मानीति.' मंत्र का जाप करें. इसके लिए भस्म में जल मिलाते समय ही मंत्र पढ़ें.
- माथे पर त्रिपुंड धारण करने के बाद 'ॐ नम: शिवाय मंत्र' का मन में जप करते हुए अपनी ग्रीवा, भुजाओं और हृदय स्थान पर भस्म लगाएं.
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(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)