Vaishakh Month Ekadashi 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह 13 अप्रैल, रविवार से शुरू हो चुका है जिसका समापन 12 मई 2025 को होगा. हिंदू धर्म में वैशाख माह को अति पवित्र और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के प्रिय माह के रूप में जाना जाता है. इस माह में श्रीहरि की पूजा करने से लाभ ही लाभ होते हैं. हिंदू कैलेंडर के दूसरे माह यानी वैशाख माह में हर माह की तरह 2 बार एकादशी व्रत है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत को करने से साधक के सभी पाप कट जाते हैं और पूरे जीवन भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. वैशाख माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. इस कड़ी में हम शाख माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि के बारे में जानेंगे.
वैशाख माह 2025 एकादशी (Vaishakh Month 2025 Ekadashi Date)
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि अति शुभ मानी जाती है. यह तिथि विष्णु की आराधना के लिए अर्पित है. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी कहते हैं और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहते हैं. आइए इन तिथियों के डेट और पारण का समय जान लें.
वरुथिनी एकादशी 2025 डेट (Varuthini Ekadashi 2025 Date)
पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल को शाम के 4:43 मिनट से हो रही है और 24 अप्रैल को दोपहर के 2:32 मिनट पर तिथि का समापन है. वरुथिनी एकादशी व्रत 24 अप्रैल को है.
वरुथिनी एकादशी व्रत के पारण का समय (Varuthini Ekadashi Vrat Paran Time)
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर करने का विधान है.
ऐसे में वरुथिनी एकादशी व्रत के लिए पारण का दिन 25 अप्रैल है.
25 अप्रैल को सुबह के 5:46 मिनट से 8:23 मिनट तक व्रत का पारण किया जाएगा.
मोहिनी एकादशी 2025 डेट (Mohini Ekadashi 2025 Date)
वैदिक पंचांग को देखें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि 7 मई को है. इस दिन सुबह के 10:19 मिनट से एकादशी तिथि शुरू हो रही हो रही है और तिथि का समापन 8 मई को दोपहर के समय 12:19 मिनट पर हो रहा है. उदया तिथि में मोहिनी एकादशी व्रत 8 मई को है.
मोहिनी एकादशी व्रत के पारण का समय (Mohini Ekadashi Vrat Paran Time)
मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 9 मई की सुबह को 5:34 मिनट से 8:16 मिनट तक के समय में किया जाएगा.
एकादशी व्रत का पारण करने से पहले पूजा करें. इस दिन मंदिर या गरीबों में दान करें.
एकादशी व्रत के बाद दान करने से साधक को व्रत का पूरा पूरा फल प्राप्त होता है.
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एकादशी व्रत के नियम
एकादशी व्रत से एक दिन पहले और एक दिन बाद तक सात्विक भोजन यानी बिना प्याज लहसुन के भोजन करें.
एकादशी व्रत में मसूर दाल, चावल, बैंगन जैसी चीजों का सेवन न करें. इस तिथि पर गाजर, शलगम, पालक आदि का खाना वर्जित है.
एकादशी व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करें और किसी के साथ हिंसा न करें. असत्य, कटु वचन न बोलें. क्रोध और लोभ न करें.
एकादशी व्रत पर 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करते रहें.
एकादशी व्रत का संकल्प कर पूजा करें और इस दौरान एकादशी व्रत कथा जरूर सुने सुनाएं.
एकादशी व्रत पर पूजा के समय भगवान विष्णु को पंचामृत अर्पित करें, भोग में तुलसी के पत्ते डालें और मौसमी फल, मिठाई आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाएं.
इस दौरान विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ फलदायी हो सकता है. विष्णु जी की आरती कर पूजा का समापन करें.
एकादशी व्रत का पारण स्नान कर पूजा आदि करनें के बाद क्षमता के अनुसार दान देने का बाद ही करें. इस दिन अन्न, वस्त्र, फल का दान करना शुभ होता है.
(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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