Vastu Dosh Upay In Hindi: भारतीय संस्कृति में परिवार और उसमें मौजूद रिश्तों को अत्यंत पवित्र माना गया है। इन रिश्तों में सबसे अहम और जटिल संबंधों में से एक होता है पिता और पुत्र का रिश्ता। यह रिश्ता आदर, अनुशासन, प्रेम और कभी-कभी मतभेदों की पतली रेखा पर टिका होता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि पिता और बेटे के बीच अनबन, बहस, असहमति और भावनात्मक दूरी अचानक बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में अक्सर लोग इसे 'पीढ़ी का अंतर', 'अनुभव की कमी' या 'अहंकार' से जोड़कर देखते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर की वास्तु स्थिति, विशेष रूप से पूर्व दिशा, भी इन मतभेदों की एक छिपी वजह हो सकती है?
जी हां, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पूर्व दिशा का दोष न केवल आपके करियर, स्वास्थ्य और धन को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह रिश्तों में भी दरार डाल सकता है – खासतौर पर पिता और बेटे के बीच।
पूर्व दिशा का महत्व क्या है?
वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा को अत्यंत शुभ माना गया है। यह दिशा सूर्य देव की दिशा है, जो ज्ञान, ऊर्जा, नई शुरुआत, सफलता और रिश्तों की सकारात्मकता का प्रतीक माने जाते हैं। पूर्व दिशा को घर के ब्रह्मा स्थान से जोड़कर देखा जाता है, जो कि मानसिक संतुलन और व्यवहारिक निर्णयों पर प्रभाव डालता है। अगर पूर्व दिशा में कोई वास्तुदोष हो जाए – जैसे दीवारों का झुकाव, भारी सामान, बंद खिड़कियां, गंदगी या शौचालय – तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है, जिससे घर के पुरुषों में विशेषकर पिता और पुत्र के बीच टकराव, अहंकार, और भावनात्मक दूरी पनपने लगती है।
पूर्व दिशा के दोष और उनके असर
आइए समझते हैं कि पूर्व दिशा से जुड़ी कुछ आम गलतियां कौन-सी हैं और ये कैसे रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं:
1. पूर्व दिशा में भारी वस्तुएं या स्टोर रूम
वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा को हल्का और खुला रखना चाहिए। यदि यहां भारी अलमारी, स्टोररूम या अनावश्यक सामान रखा हो, तो यह मानसिक दबाव और टकराव को जन्म देता है। खासकर घर के पुरुष सदस्यों में गुस्सा, ज़िद और दूरी बढ़ती है।
2. पूर्व दिशा में गंदगी या टूटी-फूटी चीजें
गंदगी, कबाड़, टूटे फर्नीचर, जंग लगे लोहे के सामान जैसी चीजें पूर्व दिशा में रखने से वहां की ऊर्जा रुक जाती है। यह पिता और पुत्र के बीच संवादहीनता और कटुता को जन्म दे सकती है।
3. पूर्व दिशा में बंद खिड़की या अंधकार
अगर इस दिशा में प्राकृतिक रोशनी का प्रवेश नहीं हो पा रहा है, तो यह भी नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है। सूर्य की रोशनी न आने से घर में उदासी, चिड़चिड़ापन और असंतुलन बढ़ सकता है।
4. पूर्व दिशा में शौचालय या बाथरूम
यह एक बहुत बड़ा वास्तुदोष माना जाता है। इससे मानसिक भ्रम, ग़लत निर्णय, तकरार और रिश्तों में तनाव की संभावना बढ़ जाती है।
पिता-पुत्र संबंध पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव
जब पूर्व दिशा में दोष होता है, तो इसका प्रभाव सिर्फ़ वास्तु स्तर पर नहीं बल्कि मानसिक स्तर पर भी होता है। पिता-पुत्र संबंध में अक्सर निम्न समस्याएं देखने को मिलती हैं:
बिना बात के बहस और तनाव
पुरानी बातों को लेकर गिले-शिकवे
सम्मान और अनुशासन की कमी
प्रेम की बजाय अधिकार और अहंकार का टकराव
भावनात्मक दूरी और संवाद का अभाव
ऐसी स्थितियों में यदि वास्तु दोष को ठीक किया जाए और साथ ही आपसी संवाद को बेहतर बनाया जाए, तो स्थिति में सुधार आ सकता है।
पूर्व दिशा के वास्तुदोष को दूर करने के उपाय
अब सवाल यह उठता है कि अगर पूर्व दिशा में दोष है, तो उसे कैसे सुधारा जाए? नीचे कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय दिए गए हैं:
1. पूर्व दिशा को करें साफ और हल्का
भारी सामान हटा दें।
वहां गंदगी या कबाड़ बिल्कुल न रखें।
फर्श और दीवारें हल्के रंगों की रखें – जैसे सफेद, हल्का पीला या क्रीम।
2. प्राकृतिक रोशनी का प्रवेश सुनिश्चित करें
पूर्व दिशा की खिड़कियों को खुला रखें।
यदि संभव हो तो सुबह के समय सूर्य की पहली किरण उस दिशा से घर में प्रवेश करे।
3. सूर्य देवता की तस्वीर लगाएं
पूर्व दिशा में सूर्य देवता की सुंदर तस्वीर या प्रतीक रखें।
रोज सुबह दीपक जलाकर प्रणाम करें।
4. पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाएं
तुलसी नकारात्मक ऊर्जा को सोखती है और रिश्तों में सकारात्मकता लाती है।
5. अगर पूर्व दिशा में शौचालय है तो…
वहां नमक का कटोरा रखें और हर शनिवार को बदलें।
सुगंधित धूप या कपूर जलाएं।
रिश्तों को भी दें वास्तु जैसा महत्व
वास्तु सुधार के साथ-साथ रिश्तों में मिठास लाने के लिए कुछ सरल आदतें अपनाएं:
पिता और पुत्र दिन में एक बार साथ बैठकर बातचीत करें, चाहे 10 मिनट ही क्यों न हों।
एक-दूसरे को सुनें, समझें और बिना टोकाटाकी के संवाद करें।
साथ में कुछ समय बिताएं – जैसे कोई काम, फिल्म, या मंदिर जाना।
सम्मान देना और लेना – दोनों तरफ से – अनिवार्य हो।
माता का भावनात्मक हस्तक्षेप संतुलित हो, पक्षपात न हो।
निष्कर्ष
रिश्तों की मजबूती केवल भावनाओं से नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन से भी जुड़ी होती है। अगर आपके घर में पिता और बेटे के बीच अक्सर अनबन रहती है, तो यह सिर्फ व्यवहार का मसला नहीं – पूर्व दिशा के दोष का संकेत भी हो सकता है।
(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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