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Vastu Tips: घर में नटराज की प्रतिमा रख रहे हैं तो जान लें इसके वास्तु नियम, तरक्की और धन से है गहरा संबंध

Vastu Tips For Nataraja Statue: इसलिए याद रखें – आध्यात्मिकता में भी सजगता ज़रूरी है। भगवान शिव का यह रूप तब ही आपको शुभ फल देगा जब आप उसका आदर और वास्तु सम्मत पालन करेंगे।

Vastu Tips For Nataraja Statue
Vastu Tips For Nataraja Statue
Narinder Juneja|Updated: Jul 21, 2025, 08:51 PM IST
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Nataraja Statue Vastu Tips In Hindi: भारतीय संस्कृति में भगवान शिव के अनेक रूपों में से एक सबसे आकर्षक और प्रभावशाली रूप है – नटराज। यह स्वरूप शिव के तांडव नृत्य को दर्शाता है, जिसमें सृजन, विनाश और पुनर्निर्माण का अद्वितीय संदेश छिपा होता है। कई लोग अपने घरों में भगवान नटराज की सुंदर प्रतिमा सजावट, आध्यात्मिकता और ऊर्जा संतुलन के उद्देश्य से रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नटराज की प्रतिमा को घर में रखने से पहले कुछ जरूरी नियम और वास्तु सिद्धांतों का पालन करना चाहिए? अगर इन बातों की अनदेखी की जाए, तो यह शुभ के बजाय अशुभ फल भी दे सकती है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे –
नटराज की प्रतिमा का महत्व
इसे घर में कहां और कैसे रखें
किन स्थानों पर नहीं रखना चाहिए
इसके साथ जुड़े वास्तु दोष
और इससे संबंधित कुछ प्रचलित मान्यताएं।

नटराज की प्रतिमा का महत्व
नटराज को "नृत्य का राजा" कहा जाता है। यह रूप भगवान शिव के पंचमुखी स्वरूपों में से एक है, जो सृष्टि, स्थिति, संहार, तिरोभाव और अनुग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।
नटराज की मूर्ति में शिव को अग्नि की परिधि के भीतर नृत्य करते हुए दर्शाया गया है, जहां वे अपस्मार – अज्ञान के राक्षस – को अपने पैरों तले दबाए हुए हैं।
यह रूप दर्शाता है कि भगवान शिव अज्ञानता को नष्ट कर ब्रह्मांड की गति को बनाए रखते हैं।
इसलिए, नटराज की प्रतिमा को ऊर्जा के संतुलन, आत्म-ज्ञान और सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।
नटराज की प्रतिमा को घर में रखने के वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशा और स्थान
यदि आप घर में नटराज की प्रतिमा रखना चाहते हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखें:

कहां रखें:
पूजा कक्ष: यदि प्रतिमा छोटी है और आप नियमित रूप से पूजा करते हैं, तो इसे मंदिर में रखा जा सकता है।
ड्राइंग रूम या स्टडी रूम: एक शोपीस के रूप में इसे उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर सजाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि इसे केवल शोभा का प्रतीक न समझा जाए।

कहां न रखें:
शयनकक्ष (Bedroom): नटराज का रूप ऊर्जा से भरपूर और अत्यधिक गतिशील होता है। शयनकक्ष शांति और विश्राम का स्थान होता है, वहां यह ऊर्जा संतुलन बिगाड़ सकती है।
रसोई या बाथरूम के पास: ये स्थान अपवित्र माने जाते हैं और वहां किसी देवता की प्रतिमा रखना अनुचित होता है।
जमीन पर या नीचे की अलमारी में: मूर्ति को कभी भी सीधे ज़मीन पर या नीचले स्थान पर न रखें।

नटराज की मूर्ति के चयन में ध्यान देने योग्य बातें
अभिमुखता और मुद्राएं: मूर्ति में भगवान शिव का चेहरा शांत और सौम्य हो, न कि अत्यधिक उग्र। उग्र मुद्रा घर की ऊर्जा को बाधित कर सकती है।
सामग्री: धातु, लकड़ी या कांसे की प्रतिमा शुभ मानी जाती है। प्लास्टिक या खराब क्वालिटी की मूर्तियों से बचें।
आकार: बहुत बड़ी प्रतिमा रखने से घर में असंतुलन की संभावना बढ़ सकती है। मध्यम आकार की मूर्ति उपयुक्त होती है।

नटराज से जुड़ी मान्यताएं और आध्यात्मिक संकेत
नटराज नृत्य – ब्रह्मांड की ध्वनि का प्रतीक: यह नृत्य ‘ॐ’ की ध्वनि और ब्रह्मांड की निरंतर गतिशीलता को दर्शाता है।
अहंकार पर नियंत्रण: शिव के पैरों के नीचे दबी हुई आकृति ‘अपस्मार’ दर्शाती है कि आत्मज्ञान के लिए अहंकार का विनाश आवश्यक है।
संतुलन का प्रतीक: एक पैर ऊपर उठाए हुए और एक नीचे टिकाए हुए, यह दर्शाता है कि जीवन में कर्म और ध्यान का संतुलन होना चाहिए।

नटराज की प्रतिमा से जुड़े वास्तु दोष
यदि नटराज की मूर्ति को गलत दिशा या अनुचित स्थान पर रखा जाए, तो घर में तनाव, असंतुलन और मानसिक अशांति बढ़ सकती है।
बहुत अधिक उग्र रूप रखने से विवाद, चिड़चिड़ापन और असंतोष जैसे लक्षण घर के सदस्यों में देखे जा सकते हैं।
मूर्ति के आस-पास गंदगी, अव्यवस्था या टूटी-फूटी चीजें रखने से शुभ प्रभाव नष्ट हो सकता है।

नटराज की मूर्ति के साथ क्या करें और क्या न करें
नटराज भगवान शिव का एक अद्भुत और शक्तिशाली स्वरूप है, जो तांडव नृत्य करते हुए ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। घर में नटराज की मूर्ति रखने से सकारात्मक ऊर्जा, रचनात्मकता और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है, लेकिन इसे सही तरीके से स्थापित करना और देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है। यदि आप नटराज की मूर्ति अपने घर में रख रहे हैं, तो कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य रखें।

करें (Dos):
नटराज की मूर्ति के सामने प्रतिदिन धूप या दीपक लगाना शुभ माना जाता है। इससे घर में दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मूर्ति को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि उसमें जमा धूल नकारात्मक प्रभाव न डाले। नटराज मंत्र का नियमित जप करना भी अत्यंत फलदायी होता है, क्योंकि इससे वातावरण में आध्यात्मिकता और शांति बनी रहती है। साथ ही, मूर्ति के आस-पास हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें—यह स्थान शांत, सुव्यवस्थित और ध्यान योग्य होना चाहिए।

न करें (Don'ts):
नटराज की प्रतिमा को कभी भी किसी बंद बॉक्स या अलमारी में बंद करके न रखें। इससे ऊर्जा का प्रवाह रुकता है और मूर्ति का प्रभाव कम हो सकता है। किसी भी हालत में टूटी हुई नटराज की मूर्ति को घर में न रखें, क्योंकि यह वास्तु दोष उत्पन्न कर सकती है और दुर्भाग्य को आमंत्रित करती है। मूर्ति को शौचालय या बाथरूम के सामने रखना भी वर्जित माना जाता है, क्योंकि यह स्थान अपवित्र होता है और मूर्ति की ऊर्जा को बाधित करता है। इसके अतिरिक्त, मूर्ति के सामने कभी भी जूते-चप्पल पहनकर खड़े न हों—यह अशिष्टता और अनादर का प्रतीक होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)
भगवान नटराज की मूर्ति न केवल कला का प्रतीक है, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और ऊर्जा संतुलन का भी प्रतीक है। इसे घर में रखने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आप इसे किस उद्देश्य और किस भावना से स्थापित कर रहे हैं। यदि आपने सही दिशा, स्थान और श्रद्धा के साथ इसे रखा, तो यह मूर्ति आपके जीवन में संतुलन, सफलता और मानसिक शांति लाने में मदद कर सकती है। लेकिन यदि अनजाने में ही इसे गलत स्थान या भाव के साथ रखा गया, तो यह नकारात्मक प्रभाव भी उत्पन्न कर सकती है।

(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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