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Vastu Tips: रुद्राक्ष धारण करने से पहले जान लें ये वास्तु नियम, तभी मिलेगा पूरा फल!

Rules For wearing Rudraksha In Hindi: रुद्राक्ष आपके जीवन में धन, सुख, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करेगा। तो अगली बार जब आप रुद्राक्ष धारण करें, तो इन 7 वास्तु नियमों को ज़रूर याद रखें — और अपने जीवन में शुभता का आह्वान करें।

Vastu Tips For wearing Rudraksham
Vastu Tips For wearing Rudraksham
Narinder Juneja|Updated: Jul 13, 2025, 05:33 PM IST
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Vastu Tips For wearing Rudraksha: रुद्राक्ष को सनातन धर्म में परम पवित्र और शक्तिशाली माना गया है। यह न केवल भगवान शिव का प्रतीक है, बल्कि इसमें दिव्य ऊर्जा भी समाहित होती है जो मानव जीवन को मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से संतुलित कर सकती है। रुद्राक्ष पहनने से पहले अक्सर लोग उसकी संख्या, माला या धारण विधि पर ध्यान देते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र में इसके प्रभाव और धारण से जुड़ी कई गहरी बातें छिपी हैं।

यदि आपने रुद्राक्ष को श्रद्धा से धारण किया है लेकिन कुछ वास्तु नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, तो इसके संपूर्ण लाभ आपको नहीं मिल पाते। इसलिए आइए जानें – रुद्राक्ष धारण करने से पहले और बाद में वास्तु के कौन-कौन से नियमों का पालन ज़रूरी है, और यह कैसे आपके जीवन में चमत्कारी परिवर्तन ला सकता है।

रुद्राक्ष का वास्तु और आध्यात्मिक महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर वस्तु का एक ऊर्जा क्षेत्र होता है। रुद्राक्ष एक ऐसा बीज है जिसमें प्राकृतिक कंपन (vibrations) होते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं और व्यक्ति के चारों ओर सुरक्षा चक्र बनाते हैं।
यह व्यक्ति की आभा (aura) को शक्तिशाली बनाता है।
चक्रों को सक्रिय करता है और मानसिक स्पष्टता लाता है।
वास्तु अनुसार, इसे घर में रखने और पहनने से ऊर्जा प्रवाह सुधरता है और दोष दूर होते हैं।

रुद्राक्ष पहनने के 7 जरूरी वास्तु नियम
1. सही मुहूर्त और दिन का चयन करें

वास्तु शास्त्र में सोमवार, महाशिवरात्रि, सावन का पहला सोमवार, पूर्णिमा या अमावस्या जैसे शुभ दिन रुद्राक्ष धारण करने के लिए सर्वोत्तम माने गए हैं।
धारण से पहले स्नान करके भगवान शिव की पूजा करें और रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध करें।

2. रुद्राक्ष की दिशा और स्थान का ध्यान रखें
रुद्राक्ष को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके धारण करें या घर में रखें। इसे घर की पूजा स्थली में भी रखा जा सकता है लेकिन दक्षिण दिशा की ओर बिल्कुल न रखें। किचन, बाथरूम या बेडरूम में इसे न रखें, क्योंकि ये स्थान ऊर्जा संतुलन के लिए उपयुक्त नहीं होते।

3. रुद्राक्ष को कभी भी ज़मीन पर न रखें
रुद्राक्ष को यदि आप उतारते हैं, तो उसे किसी लकड़ी के चौकी या स्वच्छ कपड़े पर रखें।
अगर यह गलती से नीचे गिर जाए, तो उसे गंगाजल में धोकर दुबारा प्रयोग करें।

4. रुद्राक्ष को पहनने से पहले उसका प्रकार जान लें
रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं – एकमुखी से लेकर इक्कीसमुखी तक। हर रुद्राक्ष का वास्तु प्रभाव अलग होता है।

उदाहरण:
पंचमुखी रुद्राक्ष: सर्वश्रेष्ठ और सभी के लिए उपयुक्त
एकमुखी रुद्राक्ष: केवल योगियों और साधकों के लिए
गलत प्रकार पहनने से मानसिक बेचैनी और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

5. रुद्राक्ष को लाल धागे या सोने-चांदी की चैन में पहनें
वास्तु शास्त्र कहता है कि रुद्राक्ष को लाल रंग के धागे, चांदी या सोने की चेन में पहनना शुभ होता है। काले धागे या लोहे की चैन से बचें क्योंकि यह रुद्राक्ष की ऊर्जा को अवरुद्ध कर सकता है।
धागा समय-समय पर बदलते रहें और गंदा न होने दें।

6. रुद्राक्ष पहनकर इन कार्यों से बचें
वास्तु के अनुसार, रुद्राक्ष धारण कर निम्नलिखित कार्य करने से इसकी शक्ति घटती है:
मांस-मदिरा का सेवन
शारीरिक संबंध बनाना (विशेषकर रात्रि में रुद्राक्ष को उतार देने की सलाह दी जाती है)
अंतिम संस्कार में जाना
इन कार्यों के बाद रुद्राक्ष को पुनः गंगाजल से शुद्ध करें।

7. रुद्राक्ष को नियमित रूप से शुद्ध करें और मंत्र का जाप करें
रुद्राक्ष की ऊर्जा बनी रहे इसके लिए उसे नियमित रूप से गंगाजल से शुद्ध करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए पहनें।
विशेष अवसरों पर रुद्राक्ष को दूध, शहद और पंचामृत से भी धो सकते हैं।

रुद्राक्ष पहनने के वास्तु लाभ
धन और करियर में वृद्धि:

वास्तु अनुसार, रुद्राक्ष घर में धन की ऊर्जा को सक्रिय करता है और कार्यक्षेत्र में स्थायित्व देता है।

स्वास्थ्य में सुधार:
रक्तचाप, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं में रुद्राक्ष का असर देखा गया है।

मानसिक शांति और निर्णय क्षमता:
रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति की एकाग्रता और विवेक में वृद्धि होती है।

नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा:
रुद्राक्ष एक सुरक्षा कवच के समान होता है जो बुरी नजर, टोना-टोटका और अशुभ ग्रह प्रभावों से बचाता है।

वास्तु दोष निवारण:
यदि घर में वास्तु दोष जैसे तिरछा दरवाजा, सीढ़ियों की गलत दिशा या दक्षिणमुखी घर है, तो रुद्राक्ष से घर की ऊर्जा संतुलित की जा सकती है।

रुद्राक्ष और ध्यान का गहरा संबंध
वास्तु शास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष न केवल धारण करने योग्य है, बल्कि यह ध्यान साधना का भी प्रभावशाली साधन है। जो लोग ध्यान और योग करते हैं, उनके लिए रुद्राक्ष एक अत्यंत उपयोगी उपकरण बन सकता है। ध्यान करते समय रुद्राक्ष माला से "ॐ नमः शिवाय" या अपने इष्ट मंत्र का जाप करने से मन शीघ्र शांत होता है और साधना में गहराई आती है। यह अग्नि तत्व को संतुलित कर शरीर और मन के बीच संतुलन बनाता है।

निष्कर्ष
रुद्राक्ष को केवल धारण करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे वास्तु अनुसार सही दिशा, दिन, विधि और भाव से धारण करना अत्यंत आवश्यक है। यदि आप इन नियमों का पालन करते हैं, तो रुद्राक्ष आपके जीवन में धन स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करेगा।

Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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