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सावन शिवरात्रि पर बन रहे कई अद्भुत संयोग, मिलेगा कई गुना अधिक फल; जानें मुहूर्त

Sawan Shivratri 2025: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार सावन शिवरात्रि पर हर्षण योग और भद्रावास योग जैसे कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनमें पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है.

सावन शिवरात्रि पर बन रहे कई अद्भुत संयोग, मिलेगा कई गुना अधिक फल; जानें मुहूर्त
Dipesh Thakur|Updated: Jul 04, 2025, 05:49 PM IST
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Sawan Shivratri 2025 Date Muhurat: वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सावन शिवरात्रि बुधवार, 23 जुलाई 2025 को पड़ रही है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि में सावन माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और चतुर्दशी व्रत रखकर श्रद्धालु मनचाही कामना की पूर्ति की कामना करते हैं. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार सावन शिवरात्रि पर हर्षण योग और भद्रावास योग जैसे कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनमें पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है. आइए जानते हैं उन शुभ मुहूर्तों के बारे में विस्तार से.

सावन शिवरात्रि 2025 तिथि और मुहूर्त

  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 23 जुलाई 2025, सुबह 4:39 बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त- 24 जुलाई 2025, रात 2:28 बजे

पूजन का  सबसे शुभ समय

23 जुलाई की रात 12:07 बजे से 12:48 बजे तक

हर्षण योग का संयोग

  • आरंभ- 23 जुलाई को दोपहर 12:35 बजे
  • समापन- 24 जुलाई को सुबह 9:51 बजे

बता दें कि हर्षण योग में भगवान शिव की आराधना करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का आगमन होता है.

भद्रावास योग का प्रभाव

भद्रावास योग समाप्ति- 23 जुलाई को दोपहर 3:31 बजे

इस अवधि में भद्रा स्वर्ग लोक में स्थित रहेगी, जो पृथ्वी लोक के लिए कल्याणकारी मानी जाती है. इस शुभ समय में शिव-पार्वती की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण, संकटों का नाश और मानसिक शांति प्राप्त होती है.

सावन शिवरात्रि पूजन विधि

पूजा सामग्री (समग्री)- जल, दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, बेलपत्र (3 पत्तियों वाला), धतूरा, आक, भस्म, चंदन, अक्षत (चावल), फूल, सफेद वस्त्र, धूप, दीप, रूई की बत्ती, घी का दीपक, फल, मिठाई, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर), रुद्राक्ष माला (जप के लिए)

विधि

भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद "ॐ नमः शिवाय" कहते हुए पूजा स्थल पर बैठें. फिर, शिवलिंग पर गंगाजल या स्वच्छ जल चढ़ाएं. इतना करने के बाद पंचामृत से अभिषेक करें (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर). इसके बाद शुद्ध जल से धोकर साफ करें. अब, बेलपत्र, धतूरा, फूल आदि चढ़ाएं. शिवलिंग पर चंदन, भस्म, अक्षत अर्पित करें. दीपक जलाएं, धूप दिखाएं और फल-मिठाई अर्पित करें. 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें. चाहें तो “महामृत्युंजय मंत्र” भी पढ़ सकते हैं.

"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥"

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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